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मेरे प्रिय नेता राजीव गांधी पर निबंध। Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

मेरे प्रिय नेता राजीव गांधी पर निबंध। Essay on Rajiv Gandhi in Hindi : राजीव गांधी का पूरा नाम राजीव रत्न गांधी था। श्रीमान राजीव गांधी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। राजीव गांधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म देशभक्त परिवार में हुआ था। इनका जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुम्बई में हुआ था। वह पण्डित जवाहर लाल नेहरू के नाती थे। श्रीमान राजीव गांधी ने अपने नाना जवाहर लाल नेहरू और माँ श्रीमती इन्दिरा गांधी से बहुत कुछ सीखा। राजीव गांधी ने देहरादून से शिक्षा ग्रहण की थी। वह अपनी बाल्यावस्था में भी निर्भीक और बहादुर थे। सन् 1955 से 1960 तक उन्होंने देहरादून से शिक्षा प्राप्त की। कैम्ब्रिज की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड गये।

मेरे प्रिय नेता  राजीव गांधी पर निबंध।  Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

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essay on rajiv gandhi in 500 words in hindi

राजीव गांधी का जीवन परिचय…

Rajiv Gandhi biography in Hindi

राजीव गांधी, एक ऐसे शख्सियत थे, जिन्हें महज 40 साल की उम्र में देश के पीएम बनने का गौरव प्राप्त है। वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने सन् 1984 में अपनी मां इंदिरा गांधी की मौत के बाद भारी बहुमत के साथ पीएम का पद हासिल किया था।

राजीव गांधी  बेहद सरल, सौम्य, शांति एवं धैर्यवान राजनेता थे, जिन्होंने देश के विकास और प्रगति में अपना अमूल्य योगदान दिया था और युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए उनके हित में कई अहम फैसले लिए थे। साल 1991 में आम चुनाव के दौरान  तमिलनाडू के श्री पेरमबदूर में एक भयानक बम बिस्फोट में साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई।

साल 1991 में मृत्यु के बाद उन्हें ”भारत रत्न” सम्मान ने नवाजा  गया था। आइए जानते हैं भारत के दिग्गज राजनेता राजीव गांधी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –

Rajiv Gandhi Biography in Hindi – राजीव गांधी जीवन परिचय

Rajiv Gandhi

राजीव गांधी जी  के जीवन के बारे में एक नजर में – Rajiv Gandhi Information

राजीव गांधी का शुरुआती जीवन एवं परिवार – rajiv gandhi biography in hindi.

20 अगस्त, 1944 में मुंबई में राजीव गांधी ने इंदिरा गांधी और फिरोज  गांधी के बेटे के रुप में जन्म लिया था। इनकी माता  इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी और इनके पिता फ़िरोज़ गाँधी इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रमुख और नेशनल हेराल्ड अख़बार के एडिटर थे।

राजीव गांधी की शिक्षा – Rajiv Gandhi Education

देश को तरक्की के एक नए पायदान पर पहुंचाने वाले भारत के युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के शिव निकेतन और वेल्लम बॉयज स्कूल से हुई थी। इसके बाद पढ़ाई में होनहार रहे राजीव गांधी जी का दाखिला देहरादून के ही कुलीन डॉन स्कूल में करवाया गया।

स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद वे अपनी आगे की पढ़ाई के लंदन चले गए, जहां से जानी-मानी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई की। इसके बाद साल 1966 में राजीव गांधी जी भारत वापस लौट आए, इसी दौरान उनकी मां इंदिरा गांधी को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रुप में चुना गया था। वहीं इसके बाद राजीव गांधी ने  इंडियन एयरलाइन में पायलट बने।

राजीव गांधी की शादी – Rajiv Gandhi Marriage

लंदन में पढ़ाई के दौरान ही राजीव गांधी जी इटली में रहने वाले एंटोनिया माइनो (सोनिया गांधी) से मिले  और फिर दोनों ने 1968 में  शादी करने का फैसला लिया। शादी के बाद उनकी पत्नी एंटोनिया माइनो ने अपना नाम बदलकर सोनिया गांधी रख दिया था, वे भी आज राजनीति की नई ऊंचाईयों को छू रही हैं।

वहीं शादी के बाद इन दोनों के दो बच्चे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हुए, दोनों ही आज कांग्रेस पार्टी के अहम पदों पर कार्यरत हैं।

राजीव गांधी जी का राजनैतिक करिअर – Rajiv Gandhi Political Career

सबसे युवा प्रधानमंत्री के तौर पर देश का नेतृत्व कर चुके राजीव गांधी जी का झुकाव पहले राजनीति की तरफ बिल्कुल नहीं था, लेकिन कुछ परिस्थितयों के चलते उन्हें राजनीति में आना पड़ा।

दरअसल, राजीव गांधी जी के भाई संजय गांधी की 23 जून, 1980 एक विमान हादसे में मौत हुई थी, जिसके बाद राजीव गांधी जी को अपनी मां इंदिरा गांधी के साथ राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश करना पड़ा। राजनीति में आने के बाद सबसे पहले उन्होंने अपने स्वर्गीय भाई के निर्वाचन क्षेत्र उत्तरप्रदेश के अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा और बंपर जीत हासिल की, इस तरह उन्होंने अपनी युवा विचारधारा से संसद में अपनी जगह बनाई।

इसके बाद उनके राजनैतिक कौशल को देखते हुए साल 1981 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। इसके साथ ही उन्होंने अपने राजनैतिक करियर के दैरान कांग्रेस के महासचिव पद की जिम्मेदारी संभाली, इसके साथ ही उनके ही नेतृत्व में एशियाई खेलों का आयोजन किया गया था।

राजीव गांधी जी ने अपनी मां इंदिरा गांधी के प्रमुख राजनैतिक सलाहकार के तौर पर भी काम किया। राजीव गांधी जी भले ही मजबूरन राजनीति के क्षेत्र में मजबूरी में आए हों लेकिन उन्होंने इस क्षेत्र में असीम ऊंचाईयों को छूआ और बाद में देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनकर देश का नेतृत्व किया।

प्रधानमंत्री के रुप में राजीव गांधी – Rajiv Gandhi As Prime Minister

राजीव गांधी की मां एवं देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी  की 31 अक्टूबर, 1984 के दिन, उन्हीं के एक सिख बॉडीगार्ड द्धारा उनकी निर्मम तरीके से हत्या  कर दी गई थी, जिससे पूरे देश में शोक की लहर तो दौड़ ही गई थी, इसके साथ ही जगह-जगह सिख दंगे भड़क गए थे।

वहीं ऐसे समय में कांग्रेस पार्टी को दिशा दिखाने वाला कोई कद्दावर नेता नहीं बचा था। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी के कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने राजीव गांधी जी की राजनैतिक कौशल, कर्तव्यनिष्ठा एवं दूरदर्शिता को देखकर उन पर प्रधानमंत्री जैसे अहम पद की जिम्मेदारी सौंपी, उन्होंने कुछ दिन तक देश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रुप में काम किया।

फिर इसके बाद 1985 में हुए लोकसभा चुनावों में उन्होंने भारी मतों के साथ जीत हासिल कर देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री के रुप में कार्यभार संभाला। राजीव गांधी जी ने अपनी आधुनिक विचारधारा और युवा सोच के साथ देश को शक्तिशाली, संपन्न,एवं समृद्ध राष्ट्र बनाने में अपना अहम योगदान दिया और नौजवानों के अंदर नई उम्मीदें जगाईं। इस साथ ही राजीव गांधी जी ने अपने पीएम के कार्यकाल में कम्यूटर, संचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी  को नई दिशा दी एवं नई शिक्षा नीति की घोषणा कर शिक्षा को खूब बढ़ावा दिया।

यही नहीं राजीव गांधी जी ने अपनी अद्बुत राजनैतिक कार्यशैली के चलते उन्हें असम, मिजोरम, पंजाब समझौते समेत श्री लंका में शांति सेना भेजना, 18 साल से मताधिकार, पंचायती राज को शामिल करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने देश की युवा शक्ति को और अधिक मजबूत बनाने के लिए उनके लिए कई अहम योजनाओं की शुरुआत भी की।

राजीव गांधी जी ने देश के युवाओं को रोजगार देने के लिए जवाहर रोजगार योजना की शुरुआत की। राजीव गांधी जी ने अपनी राजनैतिक सूझ-बूझ से 1986 में निरेपक्ष आंदोलन का नेतृत्व भारत के पास आने समेत कई अंतराष्ट्रीय मसलों पर अपनी बेबाक राय देकर, भारत को एक सम्मानजनक स्थान दिलाया।

राजीव गांधी जी ने अपने कार्यकाल के दौरान न सिर्फ रंगभेद के खिलाफ दक्षिण अफ्रीकी लोगों के संघर्ष, नामीबिया की स्वतंत्रता के लिए अपना सहयोग दिया बल्कि अफ्रीकी देशों की सहायता करने के लिए भी अफ्रीकी फंड की स्थापना में अपने सराहनीय कदम उठाए।

इसके साथ ही राजीव गांधी जी ने अपने पीएम के शासनकाल में कई  देशों की यात्रा कर उनके साथ अपने आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत किया। इस तरह वे हर मुद्दे पर बेहद स्पष्ट और बेबाक राय देने वाले एक सशक्त और कुशल राजनेता के रुप में  उभरे।

राजीव गांधी की हत्या – Rajiv Gandhi Death

21 मई, 1991 में जब राजीव गांधी अपने चुनावी दौरे पर गए थे, तभी तमिलनाडु में आयोजित एक स्टेज शो के दौरान उन पर जानलेवा हमला कर दिया गया। इस बम बिस्फोट में देश के इस युवा और सशक्त राजनेता की जान चली गई। इस हमले में कई और लोगों की भी जान चली गई थी तो कई लोग घायल हो गए थे।

इसके बाद राजीव गांधी जी के मृत शरीर को नई दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में लाकर उसका पोस्टमार्टम किया गया और फिर  24 मई 1991 को राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। आधुनिक विचारधारा वाले देश के इस सशक्त औऱ कुशल राजनेता की  मृत्यु से देश में शोक की लहर दौड़ गई थी।

राजीव गांधी की याद में बने स्मारक – Rajiv Gandhi Memorial

  • राजीव गांधी के सम्मान में निनैवागम, श्रीपेरुम्पुदुर में स्मृति स्थल का निर्माण किया गया।
  • हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम भी राजीव गांधी जी के नाम पर राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट रखा गया है।
  • राजीव गांधी की स्मृति और सम्मान में उनके नाम पर यूनिवर्सिटी का नाम राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय रखा गया। इस यूनिवर्सिटी को जिसे राजीव गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी के नाम से भी जाना जाता है।

इसके अलावा कई और यूनिवर्सिटी एवं बायोटेक्नोलॉजी के नाम राजीव गांधी जी के सम्मान में रखा गया है। इस तरह राजीव गांधी जी ने अपने छोटे से राजनैतिक करियर के दौरान अपनी अद्भुत कौशल से इस क्षेत्र में असीम ऊंचाईयों का छुआ, लेकिन इस दौरान उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव भी आए और बाद में हत्या की साजिश का शिकार होना पड़ा।

राजीव गांधी को मिले हुए सन्मान – Rajiv Gandhi Award

देश के प्रगति और विकास में उनके अमिट योगदान के लिए मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान “ भारत रत्न ” पुरस्कार से सम्मानित किया।

  • महात्मा गांधी की जीवनी

Note :  आपके पास About Rajiv Gandhi in Hindi में और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे।

Note: For more articles like “ राजीव गांधी – Rajiv Gandhi information in Hindi” & more paragraph, essay, Nibandh in Hindi, Bhashan, for any class students.

12 thoughts on “राजीव गांधी का जीवन परिचय…”

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Thanks for the rajiv gandhi information

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इनका जन्म स्थान,मुझे सही नही लगता हैं क्योंकि उनका जन्म स्थान “इलाहाबाद उत्तर प्रदेश” हैं

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राजीव गांधी पर निबंध

essay on rajiv gandhi in 500 words in hindi

By विकास सिंह

Essay on rajiv gandhi in hindi

राजीव गांधी पर निबंध, short essay on Rajiv Gandhi in hindi -1

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बॉम्बे में हुआ था। वह इंदिरा और फिरोज गांधी के पहले बेटे थे। क्योंकि उनके दादा श्री जवाहरलाल नेहरू और परिवार के अन्य सदस्य स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे, राजीव को लखनऊ, इलाहाबाद और दिल्ली के बीच बंद कर दिया गया था। यहां तक ​​कि वे गांधीजी के साथ साबरमती में कुछ समय तक रहे।

राजीव गांधी ने अपनी स्कूली शिक्षा दून स्कूल, देहरादून से की और उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। इस दौरान, उनकी मुलाकात सोनिया मैनो, एक इतालवी से हुई, जिनसे उन्होंने 1968 में शादी की। उन्हें 1970 में इंडियन एयरलाइंस के साथ उड़ान भरने और पायलट बनने का बहुत शौक था।

राजीव के छोटे भाई संजय की 1980 में हवाई दुर्घटना में मृत्यु हो गई। राजीव भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री, उनकी माँ की मदद करने के लिए राजनीति में शामिल हुए। वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और एम.पी. 1981 में। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।

जब इंदिरा गांधी को भारत के छठे प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। वह बहुत परिपक्व और गतिशील नेता थे। उन्होंने पंजाब और असम के चरमपंथियों के साथ शांति स्थापित की। यह एक बड़ी उपलब्धि थी।

1989 में, वह आम चुनाव हार गए। उसे दिया गया सुरक्षा कवर हटा दिया गया था, हालांकि वह पंजाब और एलटीटीई के आतंकवादियों से खतरे में थे। एक बड़ी त्रासदी में, राजीव गांधी को 20 मई, 1991 को श्रीपेरंबुदूर में लिट्टे के आतंकवादियों द्वारा मार दिया गया। भारत ने एक महान नेता और उनके एक देशभक्त बेटे को खो दिया।

राजीव गांधी पर निबंध, Essay on rajiv gandhi in hindi -2

आज लाखों भारतीय राजीव गांधी को एक शहीद और देश का एक शानदार बेटा मानते हैं, जिन्होंने धमाकेदार गौरव और व्यक्तिगत करिश्मे को पीछे छोड़ दिया। हालाँकि उन्होंने केवल पाँच वर्षों के लिए देश के मामलों की कमान संभाली थी, फिर भी उन्होंने भारत के आधुनिक इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी। समय की लहरें उसके पैरों के निशान को आसानी से मिटा नहीं पातीं।

इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के पहले बेटे राजीव गांधी का जन्म वर्ष 1944 में, नेहरू परिवार में हुआ था। भारत में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में भाग लिया।

वह एक औसत छात्र था जिसमें कोई उल्लेखनीय शैक्षणिक उपलब्धि या खोज नहीं थी। यहीं उसकी मुलाकात एक इतालवी युवा लड़की सोनिया से हुई, जिससे उसने बाद में शादी की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक कमर्शियल पायलट का पेशा अपनाया, जो उन्हें पसंद था।

राजीव गांधी अपने पेशे के रोमांच का आनंद ले रहे थे और एक सुखी पारिवारिक जीवन का आनंद ले रहे थे, जब अचानक उन्हें अपने छोटे भाई संजय गांधी के निधन पर राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर किया गया, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दाहिने हाथ थे।

1981 में, उन्होंने अपने दिवंगत भाई के पीआई इक्का में चुनाव जीता और अपनी माँ के राजनीतिक सलाहकार बन गए। लगभग तीन वर्षों के लिए, उन्होंने कांग्रेस पार्टी को युवा विंग के नेता के रूप में कार्य किया और इस क्षमता में बड़े पैमाने पर देश का दौरा किया।

हालांकि, 1984 में उनकी मां की दुखद हत्या ने उन्हें पार्टी का नेता बनने और देश के प्रधानमंत्री का पद संभालने के लिए मजबूर कर दिया। 1984 में जल्द ही हुए आम चुनावों में राजीव के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सक्षम थी और सरकार बनाने में सक्षम थी। युवा राजीव, जो केवल चालीस वर्ष के थे, जब वे प्रधान मंत्री बने, दूसरी बार, अपनी युवा ऊर्जा, उत्साह और दूरदर्शिता को राजनीति में लाने में सक्षम थे।

पांच साल के दौरान राजीव ने देश के हित में जो काम किया, वह काफी हद तक सफल रहा। भारतीय अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया शुरू करने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

वह एक आधुनिक दृष्टिकोण और स्पष्ट दृष्टि वाले व्यक्ति थे। उनके नेतृत्व में भारत ने औद्योगिक, दूरसंचार और संचार क्षेत्रों में विशाल छलांग लगाई। शायद राजीव गांधी की सबसे उत्कृष्ट विरासत यह थी कि वह भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केंद्रित करने में सक्षम थे और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत की छवि को बढ़ाते थे।

कुछ वर्षों के भीतर, वह स्पष्ट विश्व दृष्टि और नेतृत्व गुणों के साथ एक मान्यता प्राप्त विश्व का व्यक्ति बन गया। जवाहर रोजगार योजना और पंचायती राज की शुरूआत राजीव गांधी की अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियां थीं।

हालाँकि, प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के अंतिम चरण में ‘बोफोर्स घोटाला’ हुआ था, जिसने उनकी छवि को काफी धूमिल कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप अंततः 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी का रुख हुआ। 1989 से, उनकी मृत्यु तक राजीव गांधी एक अच्छे विपक्षी नेता के रूप में काम किया और अपनी पार्टी की गिरती हुई छवि को ऊपर उठाने की कोशिश की।

यह तमिलनाडु में श्रीपेरंबुदूर नामक स्थान पर उनकी सार्वजनिक रैलियों के दौरान था कि 21 मई, 1991 को तमिल आतंकवादियों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी। इस प्रकार, भारत के एक होनहार नेता का जीवन समाप्त हो गया। नई दिल्ली में उनकी समाधि शांतिवन और शांति के प्रतीक शांतिवन के रूप में जानी जाती है।

राजीव गांधी की अचानक हत्या के साथ, भारत ने सबसे अच्छे भारतीय नेताओं में से एक को खो दिया, जो हमारी भूमि के भाग्य को बदल सकते थे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह भारत को गौरव और उपलब्धियों की महान ऊंचाइयों पर ले गए होंगे। उनका असामयिक निधन भारत के लिए एक गंभीर क्षति है। उनकी हत्या न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक बड़ी त्रासदी थी।

राजीव गांधी पर निबंध, Essay on rajiv gandhi in hindi -3

40 साल की उम्र में, श्री राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधान मंत्री थे, शायद दुनिया में सरकार के सबसे कम उम्र के निर्वाचित प्रमुखों में से एक। उनकी माँ श्रीमती इंदिरा गांधी आठ साल badi थीं, जब वह पहली बार 1966 में प्रधानमंत्री बनीं। उनके शानदार दादा, पं। जवाहरलाल नेहरू, 58 वर्ष के थे जब उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में 17 साल की लंबी पारी की शुरुआत की।

देश में एक पीढ़ीगत परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में, श्री गांधी ने देश के इतिहास में सबसे बड़ा जनादेश प्राप्त किया। उन्होंने लोकसभा के लिए चुनाव का आदेश दिया, भारतीय संसद के सीधे निर्वाचित सदन के रूप में, जैसे ही उनकी मारे गए माँ के लिए शोक समाप्त हुआ। उस चुनाव में, कांग्रेस को पहले के सात चुनावों की तुलना में लोकप्रिय वोट का बहुत अधिक अनुपात मिला और उसने 508 में से 401 सीटों पर कब्जा कर लिया।

700 मिलियन भारतीयों के नेता के रूप में ऐसी प्रभावशाली शुरुआत किसी भी परिस्थिति में उल्लेखनीय रही होगी। इससे भी अधिक अनोखी बात यह है कि श्री गांधी एक दिवंगत और अनिच्छुक राजनीति में प्रवेश करने वाले थे, भले ही वे एक गहन राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और उसके बाद भी चार पीढ़ियों तक भारत की सेवा की।

श्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बॉम्बे में हुआ था। वह केवल तीन वर्ष के थे जब भारत स्वतंत्र हुआ और उनके दादा प्रधानमंत्री बने। उनके माता-पिता लखनऊ से नई दिल्ली चले गए। उनके पिता, फिरोज गांधी, एक M.P बन गए, और एक निडर और मेहनती सांसद के रूप में ख्याति अर्जित की।

राजीव गांधी ने अपने शुरुआती बचपन को अपने दादा के साथ किशोर मूर्ति हाउस में बिताया, जहाँ इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री की परिचारिका के रूप में कार्य किया। वह संक्षेप में देहरादून में वेलहम प्रेप में स्कूल गए लेकिन जल्द ही हिमालय की तलहटी में आवासीय दून स्कूल चले गए। वहाँ उन्होंने कई आजीवन दोस्ती की और उनके छोटे भाई, संजय ने भी उनका साथ दिया।

यह स्पष्ट था कि राजनीति ने उन्हें कैरियर के रूप में रुचि नहीं दी। उनके सहपाठियों के अनुसार, उनके बुकशेल्फ़ विज्ञान और इंजीनियरिंग पर विचारधाराओं, राजनीति या इतिहास पर काम नहीं करते थे। हालांकि, संगीत को उनके हितों में जगह मिली। उन्हें पश्चिमी और हिंदुस्तानी शास्त्रीय, साथ ही आधुनिक संगीत पसंद था। अन्य रुचियों में फोटोग्राफी और शौकिया रेडियो शामिल थे।

हालाँकि उनका सबसे बड़ा जुनून था, उड़ना। कोई आश्चर्य नहीं, कि इंग्लैंड से घर लौटने पर, उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की, और एक वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस प्राप्त किया। जल्द ही, वह इंडियन एयरलाइंस, घरेलू राष्ट्रीय वाहक के साथ एक पायलट बन गया।

कैम्ब्रिज में रहने के दौरान, वह सोनिया मेनो से मिले थे, जो एक इतालवी थी जो अंग्रेजी पढ़ रही थी । उनकी शादी 1968 में नई दिल्ली में हुई थी। वे श्रीमती में रहे। इंदिरा गांधी के नई दिल्ली में अपने दो बच्चों, राहुल और प्रियंका के साथ। उनके आसपास के दिन और राजनीतिक गतिविधि में हलचल के बावजूद उनका निजी जीवन बहुत महत्वपूर्ण था।

लेकिन उनके भाई संजय की 1980 में एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई। श्री गांधी पर राजनीति में प्रवेश करने और अपनी मां की मदद करने का दबाव, फिर कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से घिरा हुआ। उसने पहले तो इन दबावों का विरोध किया, लेकिन बाद में अपने तर्क के आगे झुक गया। उन्होंने अपने भाई की मृत्यु के कारण संसद में उपचुनाव जीता, अमेठी से यू.पी. के वह प्रतिनिधि बने।

नवंबर 1982 में, जब भारत ने एशियाई खेलों की मेज़बानी की, स्टैडिया और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वर्षों पहले की गई प्रतिबद्धता पूरी हुई। श्री गांधी को सभी काम समय पर पूरा करने और यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था कि खेल खुद बिना किसी बाधा या खामियों के आयोजित किए गए थे।

इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा करने में, उन्होंने पहली बार शांत दक्षता और सुचारू समन्वय के लिए अपने स्वभाव को प्रदर्शित किया। उसी समय, कांग्रेस के महासचिव के रूप में, उन्होंने समान परिश्रम के साथ पार्टी संगठन को सुव्यवस्थित और सक्रिय करना शुरू कर दिया। इन सभी गुणों को बाद में कहीं अधिक परीक्षण और प्रयास समय में सामने आया।

31 अक्टूबर, 1984 को अपनी मां की निर्मम हत्या के बाद श्री गांधी की तुलना में प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कोई भी सत्ता में नहीं आया – प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष दोनों ही अधिक दुखद और पीड़ा की स्थिति में थे। और उल्लेखनीय कविता, गरिमा और संयम के साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी उनके सर थी।

महीने भर के चुनाव अभियान के दौरान, श्री गांधी ने देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक अथक यात्रा की, जो पृथ्वी की परिधि के डेढ़ गुना के बराबर दूरी को नापा, कई स्थानों पर 250 बैठकों में बोलते हुए और लाखों आमने-सामने मिलते हुए अपनी यात्रा तय की।

एक आधुनिक दिमाग वाले, निर्णायक लेकिन अदम्य व्यक्ति, श्री गांधी उच्च प्रौद्योगिकी की दुनिया में जीने वाले थे। और, जैसा कि उन्होंने बार-बार कहा, उनका एक मुख्य उद्देश्य, भारत की एकता को संरक्षित करने के अलावा, इसे इक्कीसवीं सदी में प्रचारित करना था।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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राजीव गांधी पर निबंध Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

इस अनुच्छेद मे हमने राजीव गांधी पर निबंध Essay on Rajiv Gandhi in Hindi लिखा है। यह लेख 800 शब्दों मे लिखा गया है। इसमे हमने उनके विषय मे लघु रूप मे बताया है।

चाहिए पढ़ना शुरू करें – राजीव गांधी पर निबंध Essay on Rajiv Gandhi in Hindi …

राजीव गांधी भारत के सबसे बड़े युवा प्रधानमंत्री थे उन्होंने भारतवर्ष को एक नई ऊर्जा और शक्ति प्रदान की है। राजीव गांधी बहुत ही उदार स्वभाव के व्यक्ति थे जो भारत के 7वें प्रधानमंत्री हुए थे। इनके जैसे युवा नेता की वजह से आज पूरा देश कंप्यूटर के युग में आगे आया है और भारत को एक वैज्ञानिक दिशा भी मिली है।

राजीव गांधी का जन्म सन् 20 अगस्त 1944 ई. में मुंबई में हुआ था उनके पिता का नाम फिरोज गांधी एवं माता का नाम श्रीमती इंदिरा गांधी था। राजीव गांधी भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाती थे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी से उन्हें राजनीतिक विरासत भी मिली थी जबकि राजनीति में उनकी कोई रुचि नहीं थी लेकिन पारिवारिक वातावरण से बच ना सके।

राजीव गांधी की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली की एक स्कूल शिव निकेतन में हुई थी। सन् 1954 ई. में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव गांधी ने देहरादून के वेल्लम विद्यालय में दाखिला लिया था।

वहां से आईएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सीनियर कैंब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। पढ़ाई खत्म होने के बाद राजीव गांधी ने विमान संचालन का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था।

राजीव गांधी बहुत ही उदार प्रवृति वाले व्यक्ति थे। श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी इनकी कंधे पर आ गई थी जिसकी वजह से इन्हें राजनीति में आना पड़ा था जबकि राजनीति में आने से पहले राजीव गांधी इंडियन एयरलाइंस में एक पायलट थे।

राजीव गांधी बहुत ही सरल स्वभाव के धैर्यवान व्यक्ति थे एवं सहनशील युवा के प्रतिबिम्ब भी माने जाते थे। इनका व्यक्तित्व सज्जनता, मित्रता और प्रगति शीलता का प्रतीक भी माना जाता था।

पढ़ें: राजीव गांधी का जीवन परिचय

सन् 1981 ई. में अमेठी से सांसद का चुनाव जीतकर राजीव गांधी ने सन् 1983 ई. में कांग्रेस पार्टी के महासचिव पद पर सुशोभित हुए थे। 31 अक्टूबर सन् 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री पद के कार्यकारी के रूप में शपथ ग्रहण की थी।

सन् 1985 के चुनाव हुआ जिसमें राजीव गांधी भारी मतों से विजयी भी हुए थे। तथा उनके अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और दोबारा राजीव गांधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में देश के प्रधानमंत्री बने।

राजीव गांधी ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा की मिसाल माने जाते थे। जिनकी वजह से वह जनप्रिय नेता के रूप में भी विख्यात थे। देश के लिए अहम निर्णय में सदैव पार्टी के लोगों से परामर्श लेकर ही करते थे। राजीव गांधी भारत के लिए एक नवीन अनुभव की छवि भी रखते थे। उन्होंने युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए भी कई बदलाव लाए थे।

31 अक्टूबर सन् 1984 ई. को राजीव गांधी की माता इंदिरा गांधी को उनके ही एक सिख् बॉडीगार्ड ने हत्या कर दी थी जिसके तुरंत बाद कांग्रेस के सदस्यों ने मिलकर पूरी बागडोर इनके कंधों पर डाल दी।

सबसे कम उम्र में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त करने वाले राजीव गांधी जी ही थे। जिन्होंने साहसिक कदम उठाकर और ज्वलंत समस्याएं के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाकर अपनी छवि को एक विवेकशील और गतिशील राजनेता के रूप में प्रतिष्ठित किया था।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी राजीव गांधी एक सशक्त और कुशल राजनेता के रूप में भी साबित हुए थे तथा अपने शासनकाल में उन्होंने कई देशों की यात्रा भी की और उन्होंने भारत के राजनैतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध भी बढ़ाए थे। जो देश के विकास में काफी मददगार साबित हुआ था।

राजीव गांधी ने शिक्षा को बढ़ावा दिया था तथा 18 वर्ष के युवाओं को मत अधिकार एवं पंचायती राज में भी शामिल किया था। जिससे सही चुनाव किया जा सके और युवाओं को अपना प्रतिनिधि चुनने का मौका मिले।

देश के युवाओं के रोज़गार में भी बहुत योगदान दिया था। राजीव गांधी ने कई बड़े फैसले भी लिए जिसमें श्रीलंका में शांति सेना भेजना, मिज़ोरम, असम एवं पंजाब समझौता भी शामिल था।

राजीव गांधी देश की युवा शक्ति को बढ़ावा देते थे क्योंकि उनका मानना था कि देश का विकास युवाओं से ही हो सकता है। इसीलिए उन्होंने युवाओं को मत अधिकार दिया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एक नई गति और दिशा देने के लिए प्रयास किए और देश में पहली बार टेक्नोलॉजी मिशन भी एक संस्थागत रूप से देश में आया। राजीव गांधी ने देश को एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में 21वीं सदी की ओर ले जाने का नारा देकर जनता में एक नई आस जगाई थी।

राजीव गांधी चेन्नई में एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए गए हुए थे जहां एक आत्मघाती हमले में 21 मई सन्  1991 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके निधन से भारत को जो क्षति हुई थी उसकी पूर्ति कभी नहीं हो पायी।

कृतज्ञ भारतवासी देश की प्रगति में उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकते उनका व्यक्तित्व एवं उनकी कार्यप्रणाली सदैव देश की युवा वर्ग का मार्गदर्शन करती रहेगी।

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essay on rajiv gandhi in 500 words in hindi

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Essay on rajiv gandhi in hindi राजीव गांधी पर निबंध.

Hello, guys today we are going to discuss essay on Rajiv Gandhi in Hindi. Essay on Rajiv Gandhi in Hindi was asked in many competitive exams as well as classes in 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Read an essay on Rajiv Gandhi in Hindi to get better results in your exams.

We have combined essay on Rajiv Gandhi and Biography in Hindi – राजीव गांधी पर निबंध

Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

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Essay on Rajiv Gandhi in Hindi 1000 Words

श्री राजीव गाँधी जी का जन्म 20 अगस्त 1944 ई. को मुम्बई में हुआ था। उनकी माता विश्वविख्यात श्रीमती इन्दिरा गांधी थी। पिता पारसी धर्म के श्री फिरोजशाह गांधी थे। जवाहर लाल नेहरू जैसे विश्वविख्यात और इतिहास पुरुष उनके नाना थे। उनके जन्म के समय पं. नेहरू अहमदनगर कारागार में थे। राजीव के जन्म के कुछ समय बाद इन्दिरा जी मुम्बई से इलाहाबाद आ गईं। जब जवाहर लाल नेहरू जेल से रिहा हो गए तो इन्दिरा जी अपने पति और पुत्र के साथ आनन्द भवन में रहने लगीं।

बड़े होने पर राजीव को प्रारम्भिक शिक्षा के लिए शान्ति-निकेतन में भर्ती करा दिया गया जिसका संचालन मुख्याध्यापिका श्रीमति ऊषा भगत करती थी। कुछ समय के लिए राजीव को बोर्डिंग स्कूल में भी रहना पड़ा। सन् 1954 में उन्होंने देहरादून के प्रसिद्ध विद्यालय ‘दून’ स्कूल में प्रवेश लिया और सन् 1960 में वहां से सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद वे लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में चले गए और यहां एक वर्ष तक अध्ययन करते रहे। पुन: वे कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिल हो गए जहां उन्होंने मकैनिकल इंजीनियर का कोर्स आरम्भ किया। सोनिया से इटली में एक गोष्टी में उनका परिचय हुआ जिससे वे कुछ समय पश्चात् विवाह सूत्र में बंध गए। लंदन से लौटने के बाद वे दिल्ली में फ्लाइंग क्लब के सदस्य बन गए और विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त करने लगे। प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात् सन् 1970 में वे एयर इण्डिया में विमान चालक बन गए।

दुर्भाग्यवश 23 जून 1980 को राजीव गांधी के अनुज संजय गांधी की विमान दुर्घटना में हृदय विदारक मौत हुई। युवा अवस्था में उनकी इस मौत से सारा देश स्तब्ध रह गया तथा इन्दिरा गांधी जी के लिए उनकी मृत्यु विशेष कष्टदायी सिद्ध हुई। संजय गांधी, राजनीति में इन्दिरा गांधी जी का साथ देते थे। युवा-पुत्र की मृत्यु ने उन्हें अकेला कर दिया। राजीव इस समय यूरोप की यात्रा पर थे। भाई की मृत्यु के दु:खद समाचार से वे भी पीड़ित हुए और तुरन्त भारत लौट आए। नवम्बर 1983 में कलकत्ता में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में उन्हें भारतीय कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया।

31 अक्तूबर, 1984 को देश के इतिहास ने एक नया मोड़ लिया। इस दिन श्रीमती इन्दिरा गांधी के संरक्षकों ने उन्हें उनके निवास के बाहर गोलियों से छलनी कर दिया। संकट के इन क्षणों में 31 अक्तूबर को ही राजीव गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। श्रीमती गांधी की मृत्यु के पश्चात् राष्ट्रीय शोक के 13 दिन पूरे होने के बाद सातवें आम चुनाव की घोषणा हुई। दिसम्बर 1984 में महाचुनाव हुए और इस चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को अभूतपूर्व विजय मिली। नव वर्ष 1985 के प्रथम दिन श्री राजीव गांधी निर्वाचित प्रधानमंत्री बने।

जहां तक प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की उपलब्धियों का प्रश्न है उसे पक्षपात रहित होकर आंकने पर यही कहा जा सकता है कि जिस अल्प अवधि में श्री राजीव गांधी ने अनेक वर्षों से लटकती हुई पंजाब तथा असम की समस्याओं को सुलझाया है वह निश्चय ही उनकी बहुत बड़ी सफलता है। 24 जुलाई 1985 को अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष सरदार हरचंद सिंह लौंगोवाल के साथ उन्होंने ऐतिहासिक पंजाब समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसी प्रकार पंजाब समस्या से भी दीर्घकालीन समस्या असम समस्या स्वतन्त्रता दिवस की सुबह 15 अगस्त 1985 को समझौते के साथ समाप्त हुई।

21 मई 1991 को मद्रास से लगभग 50 किलोमीटर दूर श्री पेरुंबुदूर में रात्रि के लगभग 10 बजकर 20 मिनट पर एक ‘मानव-बम’ द्वारा राजीव गांधी की भयावह, अत्यन्त दर्दनाक रूप से हत्या कर दी गई। उनका शरीर क्षत-विक्षत हो गया और अंग-प्रत्यंगों को पहचानना भी कठिन हो गया था। उनकी हत्या एल. टी. टी. ई. की घिनौनी साजिश का परिणाम थी। इस क्रूर हत्या से सारा विश्व स्तब्ध रह गया था। ‘धनु’ नाम की एक क्रूर महिला ने अपने शरीर पर विस्फोटक बांध कर राजीव के चरण स्पर्श करने का अभिनय किया और भयानक विस्फोट के साथ राजीव गांधी का शरीर खण्डित हो गया।

राजीव गांधी आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे। विश्व में सर्वाधिक कम आयु के प्रधानमन्त्री राजीव विरोधी दलों के प्रशंसा के पात्र भी रहे। स्वभाव से वे शान्त और सौम्य थे। नम्रता और उदारता उनकी विशेषताएं थीं। उनका गंभीर व्यक्तित्व दूसरों को बहुत प्रभावित करता था।

अपने राजनीतिक जीवन के आरम्भिक जीवन में राजीव को विशेष सफलता मिली थी। पंजाब, मिजोरम और असम के हल के लिए जो समझौते हुए थे, वे सफल सिद्ध नहीं हो सके। विदेशी मोर्चे पर जो सफलता मिली वह भी पानी के बुलबुलों जैसी सिद्ध हुई। मिखाइल गोर्बाचेव और रीगन के दिलों को जीत कर वे । विश्व पर छा गए थे। धीरे-धीरे चापलूसों ने राजीव को घेर लिया, उनकी कथनी और करनी में अन्तर बढ़ने लगा।

राजीव गांधी को उनकी मृत्यु के बाद भारत-रत्न की उपाधि दी गई जिसे राष्ट्रपति ने उनकी पत्नी सोनिया गांधी को एक सादे समारोह में प्रदान किया। हत्याओं का यह सिलसिला सम्पूर्ण विश्व के लिए एक चुनौती है।

Essay on Bhagat Singh in Hindi

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Essay on Rajiv Gandhi in Hindi 2000 Words

विश्व रंगमंच पर मनुष्य नाटक के पात्रों के समान अपना-अपना अभिनय करते हैं। उसको अभिनय उसके व्यक्तित्व का परिचायक होता है। नाटक में नायक अपने उदात्तचरित्र और अभिनय के द्वारा ही अपना स्थान बनाता है। दर्शकों की श्रद्धा और सहानुभूति उसके कार्य के माध्यम से उसके प्रति भी जागृत होती है। भारतीय राजनीति के रंगमंच पर राजीव गांधी का उदय नाटक के नायक की भांति ही हुआ है। अल्पकाल में ही उन्होंने जो ख्याति अर्जित की है उसके मूल में उनके वंश और कुल का ही योगदान नहीं है अपितु अपनी सूझ-बूझ, चतुराई, साहस से वे विश्व-विख्यात हुए हैं। उनका आगमन भी उस दौर में हुआ है जब भारतीय राजनीति के आकाश में घने बादल छा गए थे तथा चारों ओर निपट अंधकार फैल गया था।

श्री राजीव गांधी जी का जन्म 20 अगस्त 1944 ई. को बम्बई में हुआ था। उनकी माता विश्व विख्यात महिला इन्दिरा गांधी थी। पिता पारसी धर्म के श्री फिरोजशाह गांधी थे। जवाहर लाल नेहरू जैसे विश्व विख्यात और इतिहास पुरुष उनके नाना थे। उनके जन्म के समय पं. नेहरू अहमदनगर कारागार में थे। राजीव के जन्म के कुछ समय बाद इन्दिरा जी बम्बई से इलाहाबाद आ गई। जब जवाहर लाल नेहरू कारागार से रिहा हो गए तो इन्दिरा जी अपने पति और पुत्र के साथ आनन्द भवन में रहने लगीं। राजीव को बचपन में कभी लखनऊ और कभी दिल्ली तथा कभी साबरमति आश्रम में रहना पड़ता था, जहां गांधी जी उनके साथ बच्चों की तरह खेला करते थे।

कुछ बड़े होने पर राजीव को आरम्भिक शिक्षा के लिए शिव-निकेतन में भर्ती करा दिया गया जिसका संचालन मुख्याध्यापिका श्रीमति ऊषा भगत करती थी। कुछ समय के लिए राजीव को बोर्डिंग स्कूल में भी रहना पड़ा। सन् 1954 में उन्होंने देहरादून के प्रसिद्ध विद्यालय ‘दून’ स्कूल में प्रवेश लिया और सन् 1960 में वहां से सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद वे लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में चले गए और यहां एक वर्ष तक अध्ययन करते रहे। पुनः वे कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज में दाखिल हो गए जहां उन्होंने मैकैनिकल इंजीनियर का कोर्स आरम्भ किया। इस काल में राजीव ने आइसक्रीम बेच कर, फैक्ट्री तथा बेकरी में काम कर अपने अध्ययन के लिए धन भी स्वयं अर्जित किया। अपनी भारतीय संस्कृति के प्रति लगाव होने के कारण वे कॉलेज की गोष्ठियों में अपने साथियों के साथ वाद-विवाद करते। मधुर-भाषी तथा शांत स्वभाव वाले होने के कारण वे अपने साथियों में प्रिय थे। इसी प्रकार की एक गोष्ठी में उनको परिचय इटेलियन युवती सोनिया से हुआ, जिससे वे कुछ समय पश्चात् विवाह सूत्र में बंध गए। लंदन से लौटने के बाद वे दिल्ली में फ्लाइंग क्लब के सदस्य बन गए और विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त करने लगे। प्रशिक्षण पूरा करने के पश्चात् सन् 1970 में वे एयर इण्डिया में विमान चालक बन गए।

राजनीति में आगमन

दुर्भाग्य वश 23 जून 1980 को राजीव गांधी के अनुज संजय गांधी की विमान-दुर्घटना में हृदय विदारक मौत हुई। युवा अवस्था में उनकी इस मौत से सारा देश स्तब्ध रह गया तथा इंदिरा गांधी जी के लिए उनकी मृत्यु विशेष कष्टदायी सिद्ध हुई। संजय गांधी, राजनीति में इन्दिरा गांधी जी का साथ देते थे। युवा-पुत्र की मृत्यु ने उन्हें अकेला कर दिया। राजीव इस समय यूरोप की यात्रा पर थे। भाई की मृत्यु के दु:खद समाचार से वे भी पीड़ित हुए और तुरन्त भारत लौट आए। दुर्भाग्य से उन्हें ही अनुज की चिता में अग्नि प्रज्ज्वलित करनी पड़ी। अब राजीव को राजनीति में प्रवेश करवाने के लिए कांग्रेस के अनेक सदस्य सक्रिय हो गए और वे राजीव तथा इन्दिरा को यही सलाह देते रहे। कांग्रेस के अनेक संसद सदस्यों ने एक हस्ताक्षर युक्त प्रस्ताव इन्दिरा जी के सम्मुख रखा परन्तु उन्होंने स्वयं इस पर कोई निर्णय नहीं लिया और राजीव को ही निर्णय लेने के लिए कहा। राजीव गांधी इस बात के लिए तत्पर न थे लेकिन अपनी मां की व्यस्तता देखकर और उनके कार्य की अधिकता तथा उत्तरदायित्व को समझकर उन्होंने इस ओर गम्भीरता से सोचना आरम्भ किया। अब वे राजनीतिक कार्यों में श्रीमती गांधी का हाथ बटाने लगे। राजनीति में उनकी संगठन-सामर्थ्य का प्रथम परिचय उस समय मिला जब 16 फरवरी 1981 को दिल्ली में किसान रैली का आयोजन किया गया। श्री गाँधी के कुशल संचालन तथा साहसिक नेतृत्व में कांग्रेस के 25 हजार कार्यकर्ता क्रियाशील रहे और इस रैली को विशेष रूप से सफल बनाने का प्रयास करते रहे। अन्ततः 11 मई 1981 को श्री बसन्त दादा पाटिल ने जो कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन महासचिव थे राजीव गांधी के नाम को घोषणा एक पत्रकार सम्मेलन में की और श्री राजीव गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। अमेठी से उन्होंने अपना नामांकन पत्र संसद सदस्य के चुनाव के लिए भरा। इस क्षेत्र में चुनाव 9 जून 1981 को हुआ और 16 जून 1981 को उनके भारी बहुमत से विजयी होने की घोषणा की गई। 24 जून 1981 को उन्हें कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक में आमंत्रित किया गया। 17 अगस्त, 1981 को उन्होंने लोक सभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण की। 29 दिसम्बर को उन्हें युवा कांग्रेस के बंगलौर अधिवेशन में युवा कांग्रेस का नेता स्वीकार कर लिया गया। मई 1982 में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल तथा पश्चिम-बंगाल में विधान सभा के चुनाव में उन्होंने अनेक स्थानों पर जाकर चुनाव सभाओं को सम्बोधित किया तथा पूर्ण समर्पण के साथ अपनी पार्टी के लिए कार्य किया। नवम्बर 1983 में कलकत्ता में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में उन्हें भारतीय कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया।

प्रथानमंत्री के रूप में

31 अक्तूबर, 1984 को देश के इतिहास ने एक नया मोड़ लिया। यह दिन इतिहास में विश्वास की हत्या तथा धर्मान्धता और कुचक्रों के काले प्रतीक के रूप में याद रहेगा। इस दिन श्रीमती इन्दिरा गांधी के संरक्षकों ने उन्हें उनके निवास के बाहर गोलियों से छलनी कर दिया। देश की प्रिय नेता छिन जाने से तथा उन्हें सांप्रदायिकता की भेंट चढ़ाने से देश तथा विश्व को जन-जन स्तब्ध रह गया। संकट के इन क्षणों में ही 31 अक्तूबर को ही राजीव गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। जब दिल्ली आदि स्थानों में सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे और उनकी मां का शव लोगों के दर्शनार्थ रखा था तब भी वे स्थान-स्थान पर रात भर दंगा-पीड़ितों के बीच घूमते रहे तथा उन्हें हर संभव सहायता दिलवाने का प्रयास करते रहे। श्रीमती गांधी की मृत्यु के पश्चात् राष्ट्रीय शोक के 13 दिन पूरे होने के बाद सातवें आम चुनाव की घोषणा हुई। दिसम्बर 1984 में महाचुनाव हुए और इस चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को अभूतपूर्व विजय मिली। नव वर्ष 1985 के प्रथम दिन श्री राजीव गांधी निर्वाचित प्रधानमंत्री बने।

जहां तक प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की उपलब्धियों का प्रश्न है उसे पक्षपात रहित होकर आंकने पर यही कहा जा सकता है कि जिस अल्प अवधि में श्री राजीव गांधी ने अनेक वर्षों से लटकती हुई पंजाब तथा असम की समस्याओं को सुलझाया है वह निश्चय ही उनकी बहुत बड़ी सफलता है। लगभग चार वर्षों से खड़ी और जटिल पंजाब समस्या जो समस्त भारत की अखण्डता के लिए खतरा उत्पन्न कर रही थी तथा जिसे उनकी स्वर्गीय मां सुलझा न पाई और जिसके कारण पंजाब का वातावरण असुखद हो गया था श्री गांधी ने उस का समाधान अत्यन्त चतुराई तथा सुखान्त रूप में किया। 24 जुलाई 1985 को अकाली दल के तत्कालीन अध्यक्ष सरदार हरचंद सिंह लौंगोवाल के साथ उन्होंने ऐतिहासिक पंजाब समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसी प्रकार पंजाब-समस्या से भी दीर्घकालीन समस्या असम-समस्या स्वतन्त्रता दिवस की प्रभात बेला में 15 अगस्त 1985 को समझौते के साथ समाप्त हुई। इसी दौर में लोकपाल बिल एवं दल-बदल रोकने के चिर-प्रतीक्षत कानून भी उनके कार्यकाल की अल्प अवधि में से संसद में पास हुए। देश द्रोह के कार्यों में संलग्न अनेक देशद्रोही गुप्तचरों का भण्डाफोड़ कर उन्होंने अनेक साहसी निर्णय लिए। पंजाब में हुए चुनाव में अब अकाली-दल को बहुमत प्राप्त हुआ और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा तब भी उन्होंने अत्यन्त उदार होकर इसे अपनी पार्टी की हार न मानकर अपने देशवासियों की ही विजय बताया। इस अल्प अवधि में अर्थात् लगभग एक वर्ष से भी कम समय में उन्होंने दो बार विदेशों की सफल यात्राएं की तथा अमेरिका, रूस, पाकिस्तान, श्री लंका आदि देशों के राष्ट्रध्यक्षों से विश्व समस्या पर बातचीत की। वाशिंगटन तथा मास्कों में उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ। राष्ट्रपति रीगन ने उनकी प्रशंसा की।

एक सुनहरे सपने को दुःखद और त्रासद अन्त

21 मई 1991 को मद्रास से लगभग 50 कि. मी. दूर श्री पेरुंबुद्र में रात्रि के लगभग 10 बजकर 20 मिनट पर एक ‘मानव-बम’ द्वारा राजीव की भयावह, अत्यन्त दर्दनाक रूप से हत्या कर दी गई। उनका शरीर क्षत-विक्षत हे गया और अंग-प्रत्यंगों को पहचानना ही कठिन हो गया था। उनकी हत्या एल. टी. टी. ई. की घिनौनी साजिश का परिणाम थी। इस क्रूर हत्या से सारा विश्व स्तब्ध रह गया था। ‘धन’ नाम की एक क्रूर महिला ने अपने शरीर पर विस्फोटक बांध कर राजीव के चरण स्पर्श करने का अभिनय किया और भयानक विस्फोट के साथ राजीव का शरीर खण्डित हो गया। नारी का मधुर और करुणामय व्यक्तित्व कितना अमानवीय और राक्षसी हो सकता है। धनु का जीवन इसका प्रमाण है। सम्पूर्ण विश्व में इस हत्या-काण्ड की घोर निन्दा की गई। 24 मई 1991 को उनके पार्थिव शरीर को चन्दन की चिता पर शक्ति स्थल को समर्पित कर दिया गया। मां की मौन समाधि के पास ही उनकी समाधी भी मौन हो गई।

राजीव गांधी आकर्षक व्यक्तिव के धनी थे। सुन्दर गौरवर्ण धवल दन्त पंक्तियां, मधुर-मुस्कान और मितभाषी राजीव सबका मन सहज में ही मोह लेते थे। विश्व में सर्वाधिक कम आयु के प्रधानमन्त्री राजीव विरोधी दलों के प्रशंसा के पात्र भी रहे। स्वभाव से वे शान्त और सौम्य थे। नम्रता और उदारता उनकी विशेषताएं थी। उनका गंभीर व्यक्तित्व दूसरों को प्रभावित भी करता था तथा उनकी हास्य व्यंग्य से भरपूर प्रकृति सबको सहज भी कर देती थी।

अपने राजनीतिक जीवन के आरम्भिक जीवन में राजीव को विशेष सफलता मिली थी। पंजाब, मिजोरम और असम के हल के लिए जो समझौते हुए थे, वे सफल सिद्ध नहीं हो सके हैं। विदेशी मोर्चे पर जो सफलता मिली वह भी पानी के बुलबुलों जैसी सिद्ध हुई। मिखाइल गोर्बाचेव और रेगन के दिलों को जीत कर वे विश्व पर छा गए थे। धीरे-धीरे चापलूसों और मक्कारों ने राजीव को घेर लिया और उनकी कथनी और करनी में अन्तर बढ़ने लगा। शहबानो का मामला, पंजाब समझौते पर घपलेबाजी, बोफोर्स कांड ने उनकी छवि को धूमिल कर दिया। अपनी सरकार के जटिल संकटों को सुलझाने में वे नाकाम रहे। मि. ‘क्लीन’ के नाम से जाने जाने वाले राजीव जनादेश की उपेक्षा कर धीरे-धीरे स्वयं ही उपेक्षित हो गए। 1984 में जिन्हें ऐतिहासिक सफलता मिली थी, सन् 1989 में वे सफलता से बहुत दूर चले गए। अब वे विपक्ष के नेता के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने कहा था – हम पूरी विनम्रता के साथ लोगों के फैसले को स्वीकार करते हैं। हम नई सरकार को रचनात्मक सहयोग देने का वायदा करते हैं, इसके बाद राजीव के व्यक्तित्व में अनुभव जुड़ता गया। उन्हें एहसास हो गया कि उनसे भारी भूल हुई है। सत्ता से उनके हटने के 19 महीनों के बाद ही फिर चुनाव आ गए। अब वे जनता से सम्पर्क कायम करने के लिए भीड़ में घुलने मिलने के लिए अनथक प्रयास करने लगे। वे पूरे दम-खम से चुनाव प्रचार में जुट गए और इस दौरान वे दो घण्टे से भी अधिक सो नहीं पाते थे। शायद लोगों ने भी उनकी नाकामियों और असफलताओं भुला कर वी. पी. सिंह के आरक्षण कांड से त्रस्त होकर राजीव को पुनः अपना नायक बनाने का मन बना लिया था। लेकिन राजनीति में हुई हिंसा से वे निश्चय हीं चितित थे उन्होंने कहा था कि इस बार चुनाव में भारी हिंसा होगी और सत्य ही इस भारी हिंसा का बज्र उन पर ही टूट-पड़ा और इस प्रकार एक सुनहरे सपने का दुःखद तथा त्रासद अंत हो गया।

राजीव गांधी को उनकी मृत्यु के बाद भारत-रतन की उपाधि दी गई जिसे राष्ट्रपति से उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने एक सादे समारोह में प्राप्त किया। हत्याओं का यह खुला व्यापार सम्पूर्ण विश्व के लिए एक चुनौती है। आतंक और उग्रवाद को निश्चय ही समूल नष्ट करना होगा।

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राजीव गांधी पर निबंध – Rajiv Gandhi Essay in Hindi – Short Essay on Shri Rajiv Gandhi Pdf Download

Rajiv Gandhi Essay in Hindi

राजीव गांधी जयंती 2018:  राजीव गाँधी एक महान राजनेता के साथ एक महान व्यक्तित्व के इंसान थे| उनके पिता जी का नाम फिरोज गाँधी जी और माता का नाम इंदरा गाँधी था| प्रधानमंत्री होने के समय उन्होंने बहुत से ऐसे निर्णय लिए जिसने भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार किया| उनका जन्म 20 अगस्त 1944 में महाराष्ट्र में हुआ था| उनके भाई की मृत्यु हो जाने के बाद भारतीय जनता कांग्रेस पार्टी की कमान उनके हातो में आ गई| राजीव गाँधी का नाम आज भी भारत के पूर्व महान प्रधानमंत्रियों में आता है| प्रधानमंत्री होने के समय उन्होंने बहुत से ऐसे निर्णय लिए जिसने भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार किया| आज के इस पोस्ट में हम आपको rajiv gandhi essay, rajiv gandhi short essay, rajiv gandhi essay in punjabi, rajiv gandhi essay in marathi, rajiv gandhi essay in english, आदि की जानकारी इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध खासकर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

राजीव गांधी हिंदी निबंध

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राजीव गांधी जैसे युवा नेता की दूरदर्शिता के फलस्वरुप ही देश कंप्यूटर-युग में प्रवेश कर सका है | जब कंप्यूटर के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसंधान के प्रयासों को उन्होंने बल देना शुरू किया था, तो लोगों ने इससे बेरोजगारी बढ़ने की बात कहकर उनकी तीव्र आलोचना की थी, किन्तु आज देश की प्रगति में कंप्यूटर की उपयोगिता एवं भूमिका से यह स्वाभाविक रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजीव गांधी अपने समय से कितना आगे चलते हुए पूरी सूझ-बूझ से निर्णय लिया करते थे | भारत आज सूचना प्रोद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है और इसमें कंप्यूटर की भूमिका अहम है | राजीव गांधी के नेतृत्व में देश ने आधुनिकीकरण एवं खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया | राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बम्बई में हुआ था | उनके पिता फिरोज गांधी, मां इंदिरा गांधी एंव नाना जवाहरलाल नेहरू, जो देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे, के संघर्षों को देखकर सम्भवतः एक दिन राजीव गांधी भी इस लड़ाई में कूद पड़ते, किन्तु सौभाग्यवश 15 अगस्त 1947 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल गई | आजादी के बाद जब राजीव गांधी के नाना जवाहरलाल नेहरु देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने, तो वे मां एंव छोटे भाई संजय गांधी के साथ दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए | उनकी प्रारंभिक शिक्षा यहीं के एक स्कूल शिव निकेतन में हुई | 1954 ई. में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव को देहरादून के वेल्हम विद्यालय भेजा गया | वहां से आई.एस.सी. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे सीनियर कैंब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए | पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया | जब वे कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी मां इंदिरा गांधी 1966 ई. में भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं | पढ़ाई खत्म करने के बाद विमान-चालक के प्रशिक्षण के दौरान 1968 ई. में इटली की सोनिया माइनो से उनका विवाह हो गया | अपने नाना, पिता एंव मां के देश की राजनीति में अहम स्थान के बावजूद राजीव राजनीति में नहीं आना चाहते थे इसलिए विमान संचालन के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने 1970 ई. में इंडियन एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करना शुरू कर दी | 23 जून 1980 को अपने छोटे भाई संजय गांधी की मृत्यु के बाद न चाहते हुए भी खानदान की विरासत को संभालने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा | जून 1981 में वे अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए और साथ में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बनाए गए | 31 अक्टूबर 1984 को अपनी मां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा जघन्य हत्या के बाद शोकाकुल राजीव को समय की आवश्यकता को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की बागडोर सम्भालनी पड़ी | वे अब तक के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, और राजनीति का भी उन्हें अधिक अनुभव नहीं था इसलिए कुछ लोगों को आशंका थी कि वे राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे, परंतु जिस कुशलता के साथ देश का संचालन करते हुए वे इसे आधुनिकीकरण के नए युग में ले गए, उससे उनके सभी आलोचक स्तब्ध रह गए | दिसंबर 1984 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो राजीव जी की अदभुत नेतृत्व-क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर अभूतपूर्व जीत हासिल हुई | 31 दिसंबर 1984 को राजीव गांधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में पुनः देश के प्रधानमंत्री बने | अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय जनता के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए, नए कार्यक्रमों की शुरूआत की तथा विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत को अभूतपूर्व प्रतिष्ठा दिलाई | राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए उन्होंने 1985 ई. में राजनीतिक दल-बदल संबंधी विधेयक पारित करवाया | बेरोजगारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए 1988 ई. में व्यापक ऋण योजना तथा 1989 ई. में जवाहर रोजगार योजना का शुभारंभ किया | पंचायती राजव्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिकोण से 15 मई 1989 को बहुप्रतीक्षित 64वां पंचायतीराज विधेयक संविधान संशोधन प्रस्तुत किया | प्रथम बार प्रधानमंत्री बनते वक्त राजीव गांधी को पंजाब के आतंकवाद और असोम के आंदोलनकारियों से त्रस्त भारत मिला था, किन्तु अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं सूझ-बूझ से ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करने में वे सफल रहे | राजीव गांधी ने देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसी मिसाइल एंव प्रक्षेपास्त्रों का विकास करवाया | उन्हें अपने देश की युवा-शक्ति पर बड़ा मान था, यही कारण है कि देश की युवा-शक्ति की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का प्रस्ताव संसद में पारित करवाया | 1989 ई. के सामान्य चुनाव में अपने आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होने में कामयाब रहे किन्तु, अपने कुछ सहयोगियों के भीतरघात के कारण उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा | राजीव गांधी यदि चाहते तो उस समय जोड़-तोड़ की सरकार बना सकते थे, परंतु जनादेश का सम्मान करते हुए उन्होंने विपक्ष में बैठना स्वीकार किया | शाहबानो प्रकरण में ‘मुस्लिम लॉ’ के सम्मान की बात हो या अयोध्या में ‘रामलला के दर्शन’ की अनुमति हो उनके जैसा साहस समन्वय अतुलनीय है |

Rajiv Gandhi Essay in Hindi

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Short Essay on Shri Rajiv Gandhi Pdf Download

राजीव गांधी विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र भारत के एकमात्र ऐसे युवा प्रधानमन्त्री थे, जिनकी उदार सोच, स्वप्नदर्शी व्यापक दृष्टि ने भारतवर्ष को एक नयी ऊर्जा और एक नयी शक्ति दी । देश को विश्व के अन्य उन्नत राष्ट्रों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देने वाले सबसे कम उम्र के वे ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने इक्कीसवीं सदी का स्वप्न देते हुए भारत को वैज्ञानिक दिशा दी । 2. उनका व्यक्तित्व: देश की प्रधानमन्त्री स्व० श्रीमती इन्दिरा गांधी के सबसे बड़े इस होनहार सपूत का जन्म बम्बई में 20 अगस्त 1944 को हुआ था । पिता फिरोज गांधी की ही तरह वे एक सम्मोहित व्यक्तित्व के धनी थे । नाना जवाहरलाल नेहरू और मां इन्दिरा गांधी से उन्हें राजनैतिक विरासत की समृद्ध परम्परा मिली । राजनीति में यद्यपि उनकी रुचि नहीं थी, तथापि वे पारिवारिक वातावरण के कारण उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके । माता इन्दिरा की असामयिक मृत्यु के बाद देश को उनकी ही तरह एक सशक्त प्रधानमन्त्री की आवश्यकता थी । अत: राजीव गांधी को लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए राजनीति में आना पड़ा । राजनीति में आने से पूर्व वे इण्डियन एयरलाइन्स में एक पायलट थे । छात्र जीवन में उनकी भेंट इटली की सोनिया से हुई, जो आगे चलकर उनकी अर्द्धांगिनी बनी । 1981 में अमेठी से सांसद का चुनाव जीतकर वे 1883 में कांग्रेस पार्टी के महासचिव बने । 31 अक्टूबर 1984 के दिन इन्दिरा गांधी की मृत्यु के बाद कार्यवाहक प्रधानमन्त्री के रूप में अपनी शपथ ग्रहण की । 1985 के आम चुनाव में वे प्रचण्ड बहुमत से विजयी हुए । मिस्टर क्लीन की छवि से माने जाने वाले राजीव गांधी बहुत कुछ अर्थों में ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल थे । हालांकि उनकी इस छवि में कालान्तर में कुछ विवाद भी उत्पन्न हुए थे । अपने श्रेष्ठ प्रशासन व निर्णय शक्ति की बदौलत इस जनप्रिय नेता ने काफी ख्याति प्राप्त की । किन्तु 21 मई 1991 को मद्रास से 50 कि०मी० दूर श्रीपेरूंबुदुर में एक चुनावी सभा के दौरान सुरक्षा घेरे को तोड़ने के बाद फूलों की माला ग्रहण करते समय श्रीलंकाई आतंकवादी संगठन लिट्टे द्वारा आत्मघाती बम विस्फोट में उनकी नृशंस हत्या कर दी गयी । अपने चहेते युवा नेता की मृत्यु पर सारा देश जैसे स्तब्ध रह गया । 3. उनके कार्य: राजीव गांधी एक सशक्त और कुशल राजनेता ही नहीं थे, अपितु स्वप्नदृष्टा प्रधानमन्त्री थे । समय से पूर्व भारत को 21वीं सदी में ले जाने वाले इस प्रधानमन्त्री ने भविष्य के भारत का जो सपना देखा था, उसमें सम्पूर्ण भारत में ज्ञान, संचार, सूचना, तकनीकी सेवाओं के साथ मुख्यत: उसे कम्प्यूटर से जोड़ना था । वे भारत को एक अक्षय ऊर्जा का स्त्रोत बनाना चाहते थे । उनकी इस नवीन कार्यशैली और सृजनात्मकता का ही परिणाम है कि आज भारत सौर ऊर्जा से लेकर देश के कोने-कोने में कम्प्यूटर से जुड़ गया है । आज देश के घर-घर में कम्प्यूटर का उपयोग राजीव गांधी की ही दूरदर्शी सोच का परिणाम है । अपनी विदेश नीति के तहत उन्होंने कई देशों की यात्राएं की । भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध बढ़ाये । 1986 में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए भारत को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित किया । फिलीस्तीनी संघर्ष, रंग-भेद विरोधी द० अफ्रीकी संघर्ष, स्वापो आन्दोलन, नामीबिया की स्वतन्त्रता का समर्थन, अफ्रीकी फण्ड की स्थापना के साथ-साथ माले में हुए विद्रोह का दमन, श्रीलंका की आतंकवादी समस्या पर निर्भीक दृष्टि रखना, हिन्द महासागर में अमेरिका तथा पाक के बढ़ते सामरिक हस्तक्षेप पर अंकुश लगाना, यह उनकी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं । 4. उपसंहार: युवाओं की ऊर्जा के प्रतीक राजीव गांधी देश को भी अक्षय ऊर्जा की दृष्टि से सम्पन्न राष्ट्र बनाना चाहते थे । इस स्वप्नदृष्टा ने भारत को कम्प्यूटर, संचार, सूचना और तकनीकी के क्षेत्र में नया आयाम दिया । 21वीं सदी की ओर जाने का नारा देकर शक्तिशाली राष्ट्र का वैभव दिया । नयी शिक्षा नीति में शिक्षा को व्यावसायिकता के साथ जोड़ने का सार्थक प्रयास किया । भारत सरकार ने देश के इस कर्मठ युवा को देश का सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” सन् 1991 में प्रदान कर अपनी कृतज्ञता प्रकट की । वे अपने अच्छे कार्यों की वजह से भारतवासियों के हृदय में सदा जीवित रहेंगे ।

Rajiv Gandhi Short Essay in Hindi

राजीव गाँधी जैसे युवा नेता की दूरदर्शिता के फलस्वरूप ही देश कम्प्यूटर युग में प्रवेश कर सका है । जब कम्प्यूटर के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसन्धान के प्रयासों को उन्होंने बल देना शुरू किया था, तो लोगों ने इससे बेरोजगारी बढ़ने की बात कहकर उनकी तीव्र आलोचना की थी, किन्तु आज देश की प्रगति में कम्प्यूटर की उपयोगिता एवं भूमिका से यह स्वाभाविक रूप से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि राजीव गाँधी अपने समय से कितना आगे चलते हुए पूरी सूझ-बूझ से निर्णय लिया करते थे । भारत आज सूचना प्रौद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है और इसमें कम्प्यूटर की भूमिका अहम् है । राजीव गाँधी के नेतृत्व में देश ने आधुनिकीकरण एवं खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया । राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई में हुआ था । उनके नाना जवाहरलाल नेहरू ने उनका नाम ‘राजीव गाँधी’ रखा । उनके पिता फिरोज गाँधी, माँ इन्दिरा गाँधी एवं नाना जवाहरलाल नेहरू, जो देश की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे, के संघर्षों को देखकर सम्भवत: एक दिन राजीव गाँधी भी इस लड़ाई में कूद पड़ते, किन्तु सौभाग्यवश 15 अगस्त, 1947 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल गई । आजादी के बाद जब राजीव गाँधी के नाना जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमन्त्री बने, तो वे माँ एवं छोटे भाई संजय गाँधी के साथ दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए । उनकी प्रारम्भिक शिक्षा यहीं के एक स्कूल शिव निकेतन में हुई । वर्ष 1954 में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव को देहरादून के वेल्हम विद्यालय भेजा गया । वहाँ से आईएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे सीनियर कैम्ब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए । वहाँ ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की । पढ़ाई खत्म करने के बाद वे दिल्ली फ्लाइंग क्लब के सदस्य बने तथा विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया । जब बे कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी माँ इन्दिरा गाँधी वर्ष 1966 में भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनी । पढ़ाई खत्म करने के बाद विमान चालक के प्रशिक्षण के दौरान वर्ष 1968 में इटली की सोनिया माइनो से उनका विवाह हो गया । अपने नाना, पिता एवं माँ के देश की राजनीति में अहम् स्थान के बावजूद राजीव राजनीति में नहीं आना चाहते थे, इसलिए विमान संचालन के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने वर्ष 1970 में इण्डियन एयरलाइंस में पाइलट की नौकरी करना शुरू कर दी । 23 जून, 1980 को अपने छोटे भाई संजय गाँधी की मृत्यु के बाद न चाहते हुए भी खानदान की विरासत को सँभालने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा । जून, 1981 में वे अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए और साथ में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बनाए गए । 31 अक्तूबर, 1984 को अपनी माँ तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा जघन्य हत्या के बाद शोकाकुल राजीव को समय की आवश्यकता को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र की बागडोर संभालनी पड़ी । वे अब तक के सबसे युवा प्रधानमन्त्री थे और राजनीति का भी उन्हें अधिक अनुभव नहीं था, इसलिए कुछ लोगों को आशंका थी कि वे राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे, परन्तु जिस कुशलता के साथ देश का संचालन करते हुए वे इसे आधुनिकीकरण के नए युग में ले गए, उससे उनके सभी आलोचक स्तब्ध रह गए । दिसम्बर, 1984 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो राजीव जी की अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर अभूतपूर्व जीत हासिल हुई । 31 दिसम्बर, 1984 को राजीव गाँधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में पुन: देश के प्रधानमन्त्री बने । अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय जनता के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए, नए कार्यक्रमों की शुरूआत की तथा विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत को अभूतपूर्व प्रतिष्ठा दिलाई । श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शान्त करने के लिए उन्होंने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात किया । राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए उन्होंने वर्ष 1985 में राजनीतिक दल-बदल सम्बन्धी विधेयक पारित करवाया । बेरोजगारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए वर्ष 1988 में व्यापक ऋण योजना तथा 1 अप्रैल, 1989 को जवाहर रोजगार योजना का शुभारम्भ किया, जिसके अन्तर्गत ‘इन्दिरा आवास योजना’ तथा ‘दस लाख कुआँ योजना’ जैसे कई कार्यक्रमों की शुरूआत की । पंचायती राजव्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिकोण से 15 मई, 1989 को बहुप्रतीक्षित 64वाँ पंचायती राज विधेयक संविधान संशोधन प्रस्तुत किया । प्रथम बार प्रधानमन्त्री बनते वक्त राजीव गाँधी को पंजाब के आतंकवाद और असोम के आन्दोलनकारियों से त्रस्त भारत मिला था, किन्तु अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं सूझ-बूझ से ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करने में वे सफल रहे । राजीव गाँधी ने देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसी मिसाइल एवं प्रक्षेपास्त्रों का विकास करवाया । उन्हें अपने देश की युवाशक्ति पर बड़ा मान था, यही कारण है कि देश की युवाशक्ति की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का प्रस्ताव संसद में पारित करवाया । वर्ष 1989 के सामान्य चुनाव में अपने आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होने में कामयाब रहे, किन्तु अपने कुछ सहयोगियों के भीतरघात के कारण उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा । राजीव गाँधी यदि चाहते तो उस समय जोड़-तोड़ की सरकार बना सकते थे, परन्तु जनादेश का सम्मान करते हुए उन्होंने विपक्ष में बैठना स्वीकार किया । शाहबानो प्रकरण में ‘मुस्लिम लॉ’ के सम्मान की बात हो या अयोध्या में ‘रामलला के दर्शन’ की अनुमति हो, उनके जैसा साहस एवं समन्वय अतुलनीय है । राजीव गाँधी अपने व्यवहार के अनुरूप सुरक्षा की परवाह किए बिना जनता के बीच चले जाते थे ।

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राजीव गांधी पर निबन्ध | Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

essay on rajiv gandhi in 500 words in hindi

1. प्रस्तावना :

राजीव गांधी विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र भारत के एकमात्र ऐसे युवा प्रधानमन्त्री थे, जिनकी उदार सोच, स्वप्नदर्शी व्यापक दृष्टि ने भारतवर्ष को एक नयी ऊर्जा और एक नयी शक्ति दी । देश को विश्व के अन्य उन्नत राष्ट्रों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देने वाले सबसे कम उम्र के वे ऐसे प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने इक्कीसवीं सदी का स्वप्न देते हुए भारत को वैज्ञानिक दिशा दी ।

2. उनका व्यक्तित्व :

देश की प्रधानमन्त्री स्व० श्रीमती इन्दिरा गांधी के सबसे बड़े इस होनहार सपूत का जन्म बम्बई में 20 अगस्त 1944 को हुआ था । पिता फिरोज गांधी की ही तरह वे एक सम्मोहित व्यक्तित्व के धनी थे । नाना जवाहरलाल नेहरू और मां इन्दिरा गांधी से उन्हें राजनैतिक विरासत की समृद्ध परम्परा मिली । राजनीति में यद्यपि उनकी रुचि नहीं थी, तथापि वे पारिवारिक वातावरण के कारण उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके ।

माता इन्दिरा की असामयिक मृत्यु के बाद देश को उनकी ही तरह एक सशक्त प्रधानमन्त्री की आवश्यकता थी । अत: राजीव गांधी को लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए राजनीति में आना पड़ा । राजनीति में आने से पूर्व वे इण्डियन एयरलाइन्स में एक पायलट थे । छात्र जीवन में उनकी भेंट इटली की सोनिया से हुई, जो आगे चलकर उनकी अर्द्धांगिनी बनी ।

1981 में अमेठी से सांसद का चुनाव जीतकर वे 1883 में कांग्रेस पार्टी के महासचिव बने । 31 अक्टूबर 1984 के दिन इन्दिरा गांधी की मृत्यु के बाद कार्यवाहक प्रधानमन्त्री के रूप में अपनी शपथ ग्रहण की । 1985 के आम चुनाव में वे प्रचण्ड बहुमत से विजयी हुए ।

मिस्टर क्लीन की छवि से माने जाने वाले राजीव गांधी बहुत कुछ अर्थों में ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल थे । हालांकि उनकी इस छवि में कालान्तर में कुछ विवाद भी उत्पन्न हुए थे । अपने श्रेष्ठ प्रशासन व निर्णय शक्ति की बदौलत इस जनप्रिय नेता ने काफी ख्याति प्राप्त की ।

किन्तु 21 मई 1991 को मद्रास से 50 कि०मी० दूर श्रीपेरूंबुदुर में एक चुनावी सभा के दौरान सुरक्षा घेरे को तोड़ने के बाद फूलों की माला ग्रहण करते समय श्रीलंकाई आतंकवादी संगठन लिट्टे द्वारा आत्मघाती बम विस्फोट में उनकी नृशंस हत्या कर दी गयी । अपने चहेते युवा नेता की मृत्यु पर सारा देश जैसे स्तब्ध रह गया ।

3. उनके कार्य:

ADVERTISEMENTS:

राजीव गांधी एक सशक्त और कुशल राजनेता ही नहीं थे, अपितु स्वप्नदृष्टा प्रधानमन्त्री थे । समय से पूर्व भारत को 21वीं सदी में ले जाने वाले इस प्रधानमन्त्री ने भविष्य के भारत का जो सपना देखा था, उसमें सम्पूर्ण भारत में ज्ञान, संचार, सूचना, तकनीकी सेवाओं के साथ मुख्यत: उसे कम्प्यूटर से जोड़ना था । वे भारत को एक अक्षय ऊर्जा का स्त्रोत बनाना चाहते थे ।

उनकी इस नवीन कार्यशैली और सृजनात्मकता का ही परिणाम है कि आज भारत सौर ऊर्जा से लेकर देश के कोने-कोने में कम्प्यूटर से जुड़ गया है । आज देश के घर-घर में कम्प्यूटर का उपयोग राजीव गांधी की ही दूरदर्शी सोच का परिणाम है । अपनी विदेश नीति के तहत उन्होंने कई देशों की यात्राएं की । भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध बढ़ाये ।

1986 में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए भारत को अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर सम्मानित किया । फिलीस्तीनी संघर्ष, रंग-भेद विरोधी द० अफ्रीकी संघर्ष, स्वापो आन्दोलन, नामीबिया की स्वतन्त्रता का समर्थन, अफ्रीकी फण्ड की स्थापना के साथ-साथ माले में हुए विद्रोह का दमन, श्रीलंका की आतंकवादी समस्या पर निर्भीक दृष्टि रखना, हिन्द महासागर में अमेरिका तथा पाक के बढ़ते सामरिक हस्तक्षेप पर अंकुश लगाना, यह उनकी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं ।

4. उपसंहार:

युवाओं की ऊर्जा के प्रतीक राजीव गांधी देश को भी अक्षय ऊर्जा की दृष्टि से सम्पन्न राष्ट्र बनाना चाहते थे । इस स्वप्नदृष्टा ने भारत को कम्प्यूटर, संचार, सूचना और तकनीकी के क्षेत्र में नया आयाम दिया । 21वीं सदी की ओर जाने का नारा देकर शक्तिशाली राष्ट्र का वैभव दिया ।

नयी शिक्षा नीति में शिक्षा को व्यावसायिकता के साथ जोड़ने का सार्थक प्रयास किया । भारत सरकार ने देश के इस कर्मठ युवा को देश का सर्वोच्च सम्मान ”भारत रत्न” सन् 1991 में प्रदान कर अपनी कृतज्ञता प्रकट की । वे अपने अच्छे कार्यों की वजह से भारतवासियों के हृदय में सदा जीवित रहेंगे ।

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Biography of Rajiv Gandhi in Hindi - राजीव गांधी

Biography of Rajiv Gandhi in Hindi – राजीव गांधी

Table of Contents

राजीव गांधी की जीवनी और अनछुए पहलू

राजीव गांधी भारत के युवा प्रधानमंत्री रहे, जिन्हें भारत में कंम्प्यूटर क्रांति के सूत्रपात के लिए जाना जाता है. राजीव गांधी ने बतौर राजनेता बहुत ही कम समय में बहुत अधिक लोकप्रियता हासिल की.

वे भारत के छठे प्रधानमंत्री थे और आज भी उन्हें देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार किया जाता है. 40 वर्ष की उम्र में राजीव गांधी देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने. उनका एक दशक का राजनीतिक जीवन कई उपलब्धियों से भरा रहा.

राजीव गांधी की संक्षिप्त जीवनी – Brief Biography of Rajiv Gandhi

राजीव रत्न गांधी भारत के छठे प्रधानमंत्री थे. वे नेहरू गांधी परिवार से प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचने वाले तीसरे शख्स थे. भारत के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार राजीव गांधी शुरूआत में राजनीतिक में कदम रखने के इच्छुक नहीं थे.

उन्होंने कॉमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग ली थी और चकाचौंध से दूर अपने निजी जीवन में ही खुश थे कि अचानक हुए एक दुखद हादसे ने उनके और उनके परिवार की दिशा बदल दी. उनके भाई संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई.

इससे पैदा हुए शून्य को भरने के लिए राजीव गांधी ने राजनीति में कदम रखा. कुछ ही समय में भारतीय राजनीति में उन्होंने अपना एक अलग स्थान बना लिया. इंदिरा गांधी की हत्या हो जाने पर विषम परिस्थितियों में राजीव गांधी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया गया.

उनका प्रधानमंत्री कार्यकाल उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए याद किया जाता है. राजीव गांधी ने भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति की नींव रखी जो आगे चलकर भारत की उन्नति का महत्वपूर्ण आधार बनी. उन्होंने पीसीओ के जरिए टेलिफोन को ग्रामीण और दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाया.

राजीव गांधी की आरम्भिक जीवन – Early life of Rajiv Gandhi

राजीव गांधी का जन्म भारत के राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू गांधी परिवार में 20 अगस्त 1944 ( rajiv gandhi birth date ) को मुम्बई में हुआ था. उनकी माता का नाम इंदिरा गांधी और उनके पिता का नाम फिरोज गांधी था. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य और नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के संपादक थे.

माता-पिता के संबंधों में खटास आने के बाद राजीव गांधी और उनके छोटे भाई संजय अपनी मां इंदिरा गांधी के साथ दिल्ली आ गए. इंदिरा गांधी उन दिनों भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपने पिता और देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मदद कर रही थीं.

राजीव गांधी की शिक्षा – Education of Rajiv Gandhi

राजीव रत्न गांधी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा देहरादून के वैलहेम बॉयज स्कूल और दून स्कूल से प्राप्त की. इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे लंदन चले गए. 1962 में राजीव गांधी ने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की.

चार साल बाद उन्होंने बिना डिग्री पूरी किए ही कॉलेज छोड़ दिया. 1966 में Rajiv Gandhi ने इम्पीरियल कॉलेज लंदन में दाखिला लिया, लेकिन एक साल बाद वहां की पढ़ाई भी छोड़ दी.

राजीव गांधी का पारिवारिक जीवन – Family Life of Rajiv Gandhi

लंदन में कॉलेज के दिनों में राजीव गांधी को इटली की एक लड़की अलबीना माइनो से प्रेम हो गया. उन्हें आगे चलकर सोनिया गांधी के नाम से जाना गया. दोनों का विवाह 1968 में हुआ. उनके पुत्र राहुल गांधी का जन्म 1970 में और पुत्री प्रियंका गांधी का जन्म 1972 में हुआ.

1966 में राजीव रत्न गांधी की मां इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. राजीव गांधी की राजनीति में शुरू से ही कोई रुचि नहीं थी. इसलिए भारत वापस लौटने पर उन्होंने इंडियन एयर लाइन्स में पायलट ( rajiv gandhi a pilot ) के रूप में नौकरी शुरू की.

उनके भाई संजय गांधी ( rajiv gandhi brother ) की 1980 में एक दुखद हादसे में मौत हो गई. इस घटना ने उनके जीवन की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस तरह Rajiv Gandhi का राजनीति में प्रवेश हुआ.

राजीव गांधी का राजनीतिक जीवन – Political Career of Rajiv Gandhi

कांग्रेस पार्टी के नेताओं और अपनी मां के बार-बार आग्रह के बाद राजीव गांधी ने राजनीति में कदम तो रखा, लेकिन प्रेस, विरोधी दलों और आम जनता के बीच इस कदम की कड़ी आलोचना हुई. कहा जाने लगा कि कांग्रेस पार्टी वंशवाद पर आधारित हो गई है.

राजनीतिक झंझावातों को झेलते हुए Rajiv Gandhi राजनीति के माहिर खिलाड़ी बन गए. 1981 में उन्होंने दिग्गज नेता शरद यादव को हराकर अमेठी लोकसभा सीट जीती. यह सीट कभी उनके भाई संजय गांधी के पास थी. 1982 में उन्हें एशियाई खेल आयोजन समिति का सदस्य बनाया गया और उन्होंने नई दिल्ली में इन खेलों के आयोजन में महती भूमिका निभाई.

आने वाले वर्षों में उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और युवा कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी संभाला. प्रेस और विरोधी दलों ने यह कहकर इस कदम की आलोचना की कि उनकी मां इंदिरा गांधी उन्हें प्रधानमंत्री पद संभालने के लिए तैयार करने में लगी हैं.

राजीव गांधी का प्रधानमंत्री कार्यकाल – Rajiv Gandhi as Prime Minister of India

31 अक्टूबर 1984 का दिन भारतीय राजनीति में भूचाल लेकर आया. जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उन्हीं के अंगरक्षकों ने नई दिल्ली में हत्या कर दी. ऐसी विषम परिस्थिति में राजीव गांधी को भारत का प्रधानमंत्री चुना गया. उन्हें कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी सर्वसम्मति से चुना गया.

उसके बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने प्रचण्ड बहुमत से जीत हासिल की और Rajiv Gandhi भारत के प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए राजीव गांधी ने जाति, धर्म और वर्ग के आधार पर बंटे देश को अपनी दूरदृष्टि और ऊर्जा से आगे बढ़ाने का काम किया.

उन्होंने पंजाब में पनप रहे आतंकवाद की समस्या को खत्म करने के लिए भरसक प्रयास किये. उनका कार्यकाल नौकरशाही में सुधार के लिए भी याद किया जाता है. उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर फोकस करते हुए इसे देश की तरक्की का प्रमुख आधार बनाया. उन्होंने शिक्षा नीति में भी आमूल बदलाव लाते हुए इसे सर्वस्पशी बनाने का प्रयास किया. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय की स्थापना उन्हीं के कार्यकाल में हुई.

विदेश नीति के मोर्चे पर Rajiv Gandhi ने अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की तुलना में लचीला रुख अपनाया और अमेरिका के साथ आर्थिक एवं वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने के प्रयास किए. भारतीय उपमहाद्वीप के देशों में क्षेत्रीय सहायोग बढ़ाने के उद्देश्य से राजीव गांधी ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

भारत में सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्रांति का श्रेय राजीव गांधी को जाता है. उन्होंने 1986 में महानगर टेलिफोन निगम लि. (एमटीएनएल) की स्थापना कर इसका श्रीगणेश किया.

राजीव गांधी से जुड़े विवाद – Controversies revolving around Rajiv Gandhi

राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में देश ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित कीं, वहीं कुछ ऐसी घटनाएं भी हुईं जो उनके राजनीतिक करियर के लिए कठिन परीक्षा साबित हुईं.

उनके प्रधानमंत्री पद संभालने के कुछ ही समय बाद 2 और 3 दिसम्बर 1984 की दरम्यानी रात को भोपाल के यूनियन कार्बाइड प्लांट में जहरीली गैस रिसाव के कारण 16 हजार से अधिक लोगों की जान चली गई और 5 लाख से अधिक लोगों को स्थाई रूप से शारीरिक-मानसिक नुकसान झेलना पड़ा.

बोफोर्स तोप सौदा भी उनके राजनीतिक जीवन पर दाग लगा गया. इसमें बोफोर्स तोपों की खरीद के लिए इटली के व्यापारी ओट्टवियो क्वात्रोच्ची के मार्फत धन के अवैध लेन-देन के आरोप लगे. हालांकि ये आरोप कभी साबित नहीं हो सके. फिर भी बोफोर्स कांड से Rajiv Gandhi की ईमानदार राजनेता की छवि को गहरा धक्का लगा.

राजीव गांधी की हत्या की वजह Rajiv Gandhi death reason hindi

वर्ष 1987 में श्रीलंका लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ गृह युद्ध की स्थिति से जुझ रहा था. राजीव ने श्रीलंका में भारतीय शांति सेना भिजवाई जिसने लिट्टे के लड़ाकों को खत्म करने में श्रीलंकाई सैन्य बलों का साथ दिया. राजीव  को इस फैसले के लिए भारत में और विश्वभर में तमिल समुदाय के लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा.

विवादों और अलोकप्रिय फैसलों का राजीव की लोकप्रियता पर बुरा प्रभाव पड़ा. 1989 के आम चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरी लेकिन बहुमत से दूर रह गई. Rajiv Gandhi को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा. विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने और राजीव गांधी संसद में नेता प्रतिपक्ष बने.

राजीव गांधी की हत्या – Rajiv gandhi assassination

21 मई 1991 ( rajiv gandhi death date ) को राजीव लोकसभा चुनाव अभियान के तहत श्रीपेरम्बूदूर में एक आम सभा को संबोधित कर रहे थे जहां आत्मघाती हमलावरों ने बम धमाके में उनकी हत्या कर दी.

महिला आत्मघाती हमलावर उनके पैर छूने के लिए झुकी. इसके बाद उसके शरीर में बंधे 700 ग्राम आरडीएक्स विस्पोटक में धमाका हो गया. 24 मई 1991 को Rajiv Gandhi की पार्थिव देह की पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि कर दी गई. नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे राजीव गांधी की समाधि स्थित है जिसे वीर भूमि कहा जाता है.

राजीव गांधी के कथन – Quotes of Rajiv Gandhi

भारत औद्योगिक क्रांति का मौका तो चूक गया लेकिन अब हम कम्प्यूटर क्रांति का अवसर हाथ से नहीं जाने दे सकते.
जिस बिन्दु पर प्रशासन और जनता के बीच संपर्क होता है वहीं एक संवेदनशील जवाबदेह प्रशासन की परीक्षा होती है.
जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है.
हमारा कार्य 21वीं सदी के दहलीज पर खड़े एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो गरीबी के बोझ और अपने औपनिवेशिक अतीत से मुक्त हो तथा अपने लोगों की बढ़ती उम्मीदों को पूरा करने में सक्षम हो.
शिक्षा को हमारे समाज में समानता लाने की भूमिका निभानी चाहिए. हजारों वर्षों में हमारे सामाजिक ढ़ाचे ने जो भेद उत्पन्न किए हैं, शिक्षा उनको मिटाने का माध्यम बननी चाहिए.
ड्रेन में ब्रेन से तो ब्रेन ड्रेन ही बेहतर है.

पुरस्कार एवं सम्मान- ​Awards and achievement

राजीव गांधी को 1991 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से मरणोपरान्त विभूषित किया गया

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गांधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे

essay on rajiv gandhi in 500 words in hindi

गांधी जयंती पर निबंध(Gandhi Jayanti Essay in Hindi) – महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाया जाता है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था, और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था।

उनकी स्मृति में चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के प्रयास का जश्न मनाने के लिए इसे लागू किया जाए और पुरस्कृत किया जाए।

आमतौर पर उनकी याद में महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन (रघुपति राघव राजा राम) गाए जाते हैं। पूरे भारत में महात्मा गांधी की मूर्तियों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है और कुछ लोग उस दिन मांस और शराब का सेवन करने से परहेज करते हैं। सार्वजनिक भवन, जैसे बैंक और डाकघर, दिन के लिए बंद रहते हैं।

महात्मा गांधी जयंती निबंध पर 10 लाइन (10 Lines Essay On Mahatma Gandhi Jayanti in Hindi)

  • प्रत्येक वर्ष, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती को भारत के राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
  • इस दिन को हम अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया है।
  • यह भारत में आधिकारिक तौर पर घोषित छुट्टियों में से एक है।
  • दुनिया भर के लोग उस दिन महात्मा गांधी के योगदानों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी शिक्षाओं की प्रशंसा करते हैं।
  • भारत के निवासी, गांधी की मूर्तियों को फूलों से सजाते हैं।
  • राज घाट स्मारक के पास, राजनीतिक दल और लोग राष्ट्रपिता को अपनी श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं।
  • विभिन्न स्कूल और कॉलेज महात्मा गांधी की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
  • महात्मा गांधी ने अहिंसा और शांति का विचार दिया।
  • उन्होंने हमेशा शराब पीने जैसी बुरी आदतों का विरोध किया।
  • उस दिन हम उनकी विचारधारा और शिक्षाओं को याद करते हैं, जो उन्होंने समाज को दी।

गांधी जयंती पर निबंध 100 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 100 words in Hindi)

यह राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी, जिन्हें बापू भी कहा जाता है) की जयंती है। गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारत में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मनाई जाती है। यह स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी कार्यालयों, समुदायों, समाज और अन्य स्थानों में कई उद्देश्यपूर्ण गतिविधियों का आयोजन करके मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इस दिन, पूरे भारत में सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल, कॉलेज, कंपनियां आदि बंद रहते हैं लेकिन इसे बड़े उत्साह और ढेर सारी तैयारियों के साथ मनाया जाता है।

गांधी जयंती पर निबंध 150 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 150 words in Hindi)

गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। यह दिन उनकी जयंती का प्रतीक है। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। हम इस दिन को देश के लिए किए गए उनके बलिदान की याद में मनाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया। सत्याग्रह प्रसिद्ध आंदोलनों में से एक था। भारत छोड़ो आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन अन्य दो प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण आंदोलन हैं जिन्होंने हमें 1947 में आजादी दिलाई।

इस दिन, कई छात्र लोगों को अहिंसा का संदेश देने वाले नाटक करते हैं। कई छात्र उनकी जयंती को चिह्नित करने के लिए इस दिन देशभक्ति के गीत गाते हैं। कई छात्र गांधीजी और उनकी शिक्षाओं के विषय पर पेंटिंग करते हैं। यह दिन देशभक्ति के उत्साह में डूबा हुआ है और हम उनकी बुद्धिमान शिक्षाओं को याद करते हैं- “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो”। इस दिन उनके जीवन पर केन्द्रित कई फिल्में टेलीविजन और रेडियो चैनलों पर प्रसारित की जाती हैं। जल्द ही हम हिंदी, मलयालम में गांधी जयंती पर पैराग्राफ अपडेट करेंगे।

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गांधी जयंती पर निबंध 200 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 200 words in Hindi)

गांधी जयंती प्रत्येक 2 अक्टूबर को पड़ती है। यह एक राष्ट्रीय पर्व है। मोहनदास करमचंद गांधी अपने शिक्षण में अहिंसा का प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं। स्वदेशी और सत्याग्रह सहित उनके विभिन्न आंदोलन अहिंसा की उनकी धारणाओं पर आधारित थे।

वह बहुत पहले से ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा में विश्वास करते थे और इसलिए उन्होंने अपने साथी लोगों को चरखे के रूप में जाने जाने वाले हाथ के पहिये के माध्यम से कपड़े बुनने के लिए कहा। उन्होंने खादी के कपड़े पहने और विदेशी उत्पादों को त्याग दिया। वे न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसे सामाजिक कलंक को दूर किया। उन्होंने तत्कालीन अछूतों को हरिजन या ईश्वर की संतान का नाम दिया।

उनकी शिक्षाओं को चिह्नित करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पूरे काउंटी में गांधी जयंती पूरे दिल से मनाई जाती है। विभिन्न छात्र ‘अहिंसा’ या अहिंसा और स्वदेशी आंदोलन की शिक्षाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नाटकों और नुक्कड़ नाटकों में अभिनय करते हैं। छात्र इस दिन पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं और उनकी तस्वीरें भी बनाते हैं।

उनके सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहते हैं। सिद्धांत और छात्र उनकी शिक्षाओं पर भाषण देते हैं। फिल्मों का प्रसारण उनके जीवन पर केन्द्रित होता है। अन्य नेताओं के साथ-साथ उनके अथक प्रयासों के कारण ही आज हम अपने देश में खुलकर सांस ले सकते हैं।

गांधी जयंती पर निबंध 250 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 250 words in Hindi)

गांधी जयंती भारत में हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और कॉलेज, स्कूल और कार्यालय बंद रहते हैं।

गांधी जयंती कैसे मनाई जाती है?

गांधी जयंती को राष्ट्रपिता और सत्य और अहिंसा के साथ उनके प्रयोग के प्रति बहुत सम्मान के साथ मनाया जाता है। पूरे देश में कई स्थानों पर निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता और अन्य जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

गांधी जयंती दक्षिण अफ्रीका में भी मनाई जाती है, जहां गांधी जी ने भारतीयों और मूलनिवासी अश्वेतों के अधिकारों की वकालत करते हुए 21 साल तक लड़ाई लड़ी। दुनिया के अन्य हिस्सों में भारतीय दूतावासों में विशेष स्मारक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महात्मा गांधी की जन्म तिथि, 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति और अहिंसा दिवस के रूप में नामित किया, जिसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।

गांधी जयंती का महत्व

अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में, महात्मा गांधी ने दैनिक गतिविधियों और आचरणों में सख्त अनुशासन का अभ्यास किया था। उन्हें अपनी नीतियों पर अगाध विश्वास था, जो जनता में भी परिलक्षित होता था। वह एक महानायक थे जिन्होंने दुनिया को दमन और अन्याय से लड़ने के लिए एक नया हथियार दिया – “असहयोग”। सत्य, अहिंसा और असहयोग की उनकी संयुक्त नीतियां जनता के बीच एक त्वरित हिट थीं। उनका जन्मदिन मनाना और उनके मूल्यों को याद रखना हमें एक समाज और एक राष्ट्र के रूप में और अधिक विकसित होने में मदद करता है।

गांधी जयंती एक राष्ट्रीय त्योहार है जब राष्ट्र अपने महान योद्धा को याद करता है जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और देश को अंग्रेजों के दमनकारी शासन से मुक्त कराया।

गांधी जयंती पर निबंध 300 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 300 words in Hindi)

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को हुआ था। हम उनकी जयंती और हमारे देश को ब्रिटिश राज के चंगुल से मुक्त कराने के उनके प्रयासों को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती मनाते हैं। राष्ट्रपिता के रूप में भी जाने जाने वाले, उन्होंने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने और ‘भारत’ के सार को बनाए रखने के लिए विभिन्न आंदोलनों में अपना योगदान दिया है। अहिंसा और सादा जीवन उनके दो बुनियादी सिद्धांत थे जिनका उन्होंने पालन किया।

अफ्रीका में कानून की शिक्षा प्राप्त एक व्यक्ति अपने देशवासियों को आजाद कराने के लिए भारत लौटा। सिर्फ एक धोती पहने, उसे एक जोड़ी गिलास और एक छड़ी के साथ जोड़कर, वह साथी भारतीयों के साथ नमक निकालने और ब्रिटिश उपनिवेशों को यह दिखाने के लिए मीलों पैदल चलकर दांडी गए कि हमारे पास अपार शक्तियाँ हैं। सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचारक, उन्होंने अपने देशवासियों को अस्पृश्यता जैसी तत्कालीन मौजूदा सामाजिक बुराइयों से भी मुक्त कराया।

वह आत्मनिर्भरता में विश्वास करते थे और इसलिए अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कपड़े पहनने के बजाय अपने खुद के कपड़े बुनने की अवधारणा को बढ़ावा दिया। इसने भारतीय महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया, इसलिए उन्हें मुक्ति मिली।

भारत इस तरह गांधी जयंती मनाता है:

  • स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बच्चों और लोगों को उनके योगदान से अवगत कराने के लिए नाटकों, नृत्य प्रदर्शनों, भाषणों और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
  • सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहे।
  • राजघाट, नई दिल्ली में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है।
  • उनके जीवन को दर्शाने वाली फिल्में टेलीविजन पर प्रसारित की जाती हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र ने अहिंसा में अपने विश्वास को चिह्नित करने के लिए 2 अक्टूबर को अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया है।

गांधी जी ने हमें आत्मनिर्भरता, ईमानदारी और अहिंसा का महत्व सिखाया। छात्र उनके पसंदीदा भजन- ‘रघुपति राघव’ को गाने के अलावा विधानसभाओं में इसका पालन करने की शपथ लेते हैं।

गांधी जयंती पर निबंध 500 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 500 words in Hindi)

गांधी जयंती एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जिसका उत्सव भारत में 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। सबसे उल्लेखनीय, यह त्यौहार मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती मनाता है। इसके अलावा, गांधी जयंती भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया गया है। त्योहार निश्चित रूप से भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है।

महात्मा गांधी का जन्म ब्रिटिश शासन के तहत भारत में हुआ था। वह निश्चित रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रमुख व्यक्ति थे। महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके निरंतर सर्वोपरि प्रयासों के कारण था।

गांधी का व्यापारी वर्ग का परिवार था। यह आत्मविश्वासी व्यक्ति 24 वर्ष की आयु में दक्षिण अफ्रीका चला गया। वह वहां कानून की पढ़ाई करने गया था। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से उनकी वापसी हुई। फिर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। अपने अथक परिश्रम के कारण वे जल्द ही कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।

महात्मा गांधी के प्रयास केवल भारतीय स्वतंत्रता तक ही सीमित नहीं थे। मनुष्य ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से भी संघर्ष किया। ये सामाजिक बुराइयाँ अस्पृश्यता, जातिवाद, स्त्री अधीनता आदि थीं। इसके अलावा, उन्होंने गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए।

महात्मा गांधी को भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति घोर अरुचि थी। हालांकि, वह हिंसा के रास्ते के पक्ष में नहीं थे। गांधी अहिंसा (अहिंसा) के दर्शन में सख्ती से विश्वास करते थे। नतीजतन, उस व्यक्ति ने शांतिपूर्ण तरीके से ब्रिटिश शासन का विरोध किया। इसके अलावा, गांधी के शांतिपूर्ण विरोध और आंदोलन अत्यधिक प्रभावी थे। उनके तरीके और योजनाएँ बहुत कुशल थीं। अपनी अविश्वसनीय प्रभावशीलता के कारण, गांधीजी अन्य विश्व नेताओं के लिए प्रेरणा बन गए। एक बार फिर, गांधी को महात्मा की एक और उपाधि से सम्मानित किया गया। महात्मा शब्द का अर्थ महान आत्मा है। उनके जन्मदिन को शानदार स्मरण और उत्सव के दिन में बदल दिया गया।

महात्मा गांधी की स्मृति

सबसे पहले, गांधी जयंती और कुछ नहीं बल्कि महात्मा गांधी की एक भव्य स्मृति है। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत के राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। देशभक्ति के इस अवसर का उत्सव हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में आयोजित किया जाता है।

गांधी जयंती के अवसर पर प्रार्थना सेवा और श्रद्धांजलि होती है। ये प्रार्थना सेवाएं और श्रद्धांजलि पूरे देश में होती हैं। इसके अलावा, गांधी जयंती पर विभिन्न प्रार्थना सभाएं और स्मारक समारोह भी होते हैं। ये आयोजन स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी संस्थानों में होते हैं। खास बात यह है कि इस तरह के आयोजनों में हर तबके के लोग हिस्सा लेते हैं।

जगह-जगह चित्रकला, निबंध आदि की प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। इसके अलावा, ऐसी प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कारों का वितरण होता है। कई स्कूलों और कॉलेजों में छात्र महात्मा गांधी के जीवन पर वृत्तचित्र और प्रदर्शन भी देखते हैं। नतीजतन, युवाओं के बीच अहिंसक जीवन शैली को बढ़ावा मिल रहा है। गांधीजी के पसंदीदा भजन (हिंदू भक्ति गीत) के गायन कार्यक्रम भी हैं। एक अन्य अनुष्ठान गांधी प्रतिमाओं को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है। अंत में, कुछ व्यक्ति गांधी जयंती पर मांस खाने या शराब पीने से बचते हैं।

गांधी जयंती महात्मा गांधी के महान व्यक्तित्व का सम्मान करती है। यह इस महान व्यक्तित्व के जीवन को प्रतिबिंबित करने और संजोने का अवसर है। इसके अलावा, सभी को इस दिन उनकी तरह जीने की कोशिश करनी चाहिए। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत में एक बहुत ही देशभक्ति का दिन है।

गांधी जयंती निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQs)

Q.1 गांधीजी ने अपने प्रथम सत्याग्रह का प्रयोग कहाँ किया था.

उत्तर. गांधीजी ने अपना पहला सत्याग्रह 1906 में दक्षिण अफ्रीका में प्रयोग किया।

Q.2 महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे?

उत्तर. लियो टॉल्स्टॉय महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु थे।

Q.3 हम अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाते हैं?

उत्तर. अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2 अक्टूबर को गांधीजी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।

Q.4 गांधीजी को किस विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना दिवस पर आमंत्रित किया था?

उत्तर. गांधीजी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के लिए बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था।

Q.5 गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे थे?

उत्तर. गांधीजी 9 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और इस दिन को प्रवासी भारत दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Q.6 आरबीआई द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंक नोट कब जारी किए गए थे?

उत्तर. 1996 में RBI द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंकनोट जारी किए गए थे।

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राजीव गांधी पर निबंध | Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

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राजीव गांधी पर निबंध   Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

राजीव गांधी का जीवन परिचय , सबसे युवा प्रधानमंत्री , युवा भारत के नेता , अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में नेतृत्व , शांति और सौहार्द के प्रतीक  .

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100, 200, 500 Words महात्मा गांधी पर हिंदी निबंध

हमारे द्वारा नीचे महात्मा गांधी पर सरल शब्दों में निबंध दिए गए हैं। वे हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे। भारत का हर बच्चा और व्यक्ति उन्हें बापू या राष्ट्रपिता के नाम से जानता है। नीचे दिए गए निबंधों के माध्यम से आप अपने बच्चों की स्कूल की हर प्रतियोगिता या परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद कर सकते हैं।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100 Words

महात्मा गांधी को जीवन पर्यंत उनके महान कार्यों के लिए महात्मा बुलाया जाता रहेगा। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसा का पालन करने वाले कार्यकर्ता थे. उन्होंने अहिंसा के दम पर भारत को अंग्रेजों के राज से मुक्त करवाया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। वे जब इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई कर रहे थे तब महज 18 साल के थे। बाद में वे अपने कानून का अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के एक ब्रिटिश उपनिवेश में गए जहां अपनी काली त्वचा के कारण गोरे लोगों ने उनके साथ भेदभाव किया। इसलिए उन्होंने इन अनुचित कानूनों में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निश्चय किया।

  • Mahatma Gandhi Slogan in Hindi 

इसके बाद वे भारत लौट आएं और उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए एक शक्तिशाली और अहिंसक आंदोलन शुरु किया। सन 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने बहुत से भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 200 Words

महात्मा गांधी भारत के महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे, जो अभी भी अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की विरासत के जरिए देश -विदेश में लोगों को प्रेरित करता है। बापू का जन्म 2 अक्तूबर को 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। अक्टूबर माह के दूसरे दिन जब बापू का जन्म हुआ, वह भारत के लिए एक महान दिन था। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता कराने के लिए अपनी महान और अविस्मरणीय भूमिका अदा की। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कानून की पढाई के लिए इंग्लैंड चले गयें थे। सन 1891 में एक वकील के रूप में भारत लौट आयें।

  • Mahatma Gandhi Quotes On Cleanliness In Hindi

भारत आने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश शासन से विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। उन्होंने भारतीयों की मदद के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बापू द्वारा शुरू की गई अन्य बड़ी गतिविधियों में 1920 में असहयोग आंदोलन, वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन थे। सभी आंदोलनों ने भारत में ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया और बहुत से आम नागरिकों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

  • Gandhiji Ke Andolan In Hindi 

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

महात्मा गांधी को हमारे देश की आजादी में उनके महान योगदान के लिए “देश के पिता या बापू” के रूप में जाना जाता है। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अहिंसा और लोगों की एकता में विश्वास किया और भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता लायें। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को हटाने, भारत में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की, सामाजिक विकास के लिए गांवों को विकसित करने के लिए आवाज उठाई, स्वदेशी वस्तुओं और अन्य सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। वे आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए आम लोगों को आगे लायें और उन्हें अपनी सच्ची स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

  • Gandhi Jayanti Speech In Hindi

वे उन व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने अपने महान आदर्शों और सर्वोच्च त्यागों के माध्यम से आजादी के सपने को सच्चाई में बदल दिया। वे आज भी हमारे बीच उनके महान कार्यों और अहिंसा, सच्चाई, और प्रेम जैसे प्रमुख गुणों के लिए याद कियें जाते है। वे एक महान आत्मा के रूप में पैदा नहीं हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कठिन संघर्षों और कार्यों के माध्यम से खुद को महान बना दिया। वे राजा हरिश्चंद्र नामक नाटक के पात्र राजा हरिश्चंद्र के जीवन से बेहद प्रभावित थे। स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने इंग्लैंड से अपनी क़ानून की डिग्री पूरी की और एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन एक महान नेता के रूप में कार्य करना जारी रखा।

  • Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए कई बड़े आन्दोलनों जैसे 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1 942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदि की शुरुआत की। कई संघर्षों और कार्यों के बाद, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को आजादी प्रदान की गई। वे एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे जिन्होंने रंग और जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत की और अछूतों को “हरिजन” नाम दिया, जिसका अर्थ है भगवान के लोग।

वे एक महान सामाजिक सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जो अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के एक दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हुए। उन्होंने भारतीय लोगों को मेहनतकश बननें के लिए प्रेरित किया और कहा कि एक सरल जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था वे स्वयं करें। उन्होंने स्वदेशी सामानों के उपयोग को बढ़ावा देने और विदेशी सामानों के उपयोग से बचने के लिए चरखे के माध्यम से सूती कपड़े की बुनाई शुरू कर दी। वे कृषि के समर्थक थे और इसके लिए उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित किया। वे एक ऐसे आध्यात्मिक व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता का प्रवेश करवाया। 30 जनवरी 1948 को उनका निधन हुआ और उनके शरीर का अंतिम  संस्कार राजघाट , नई दिल्ली में किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को हर साल भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • Short Paragraph on Mahatma Gandhi In Hindi

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi | स्कूली छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

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  • Updated on  
  • जनवरी 22, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया था। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, आंदोलन और भारत छोड़ो आदि आंदोलन किए। ऐसे में कई बार विद्यार्थियों को महात्मा गांधी पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि महात्मा गांधी पर एक सूचनात्मक निबंध कैसे लिखें। यहाँ आपको 100, 200 और 500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi के कुछ सैम्पल्स दिए गए हैं। आईये पढ़ते हैं उन सैम्पल्स को।

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महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए, आपको उनके बारे में निम्नलिखित विवरणों का उल्लेख करना होगा।

  • देश के लिए योग
  • आजादी के लिए निभाया कर्तव्य

महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार हैः

महात्मा गांधी को महात्मा , ‘महान आत्मा’ और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। 2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी बचपन से ही न तो कक्षा में मेधावी थे और न ही खेल के मैदान में बेहतर थे। उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

वहीं विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

महात्मा गांधी पर निबंध 400 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध- 400 शब्दों में इस प्रकार है:

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले बापू को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा, जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से करा दिया गया था।

असहयोग आंदोलन

जलियांवाला बाग नरसंहार से गाँधी जी को यह ज्ञात हो गया था कि ब्रिटिश सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है। अतः उन्होंने सितंबर 1920 से फरवरी 1922 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। लाखों भारतीय के सहयोग मिलने से यह आंदोलन अत्यधिक सफल रहा। और इससे ब्रिटिश सरकार को भारी झटका लगा।

नमक सत्याग्रह

12 मार्च 1930 से साबरमती आश्रम (अहमदाबाद में स्थित स्थान) से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला गया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक पर एकाधिकार के खिलाफ छेड़ा गया। गाँधी जी द्वारा किए गए आंदोलनों में यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण आंदोलन था।

दलित आंदोलन

गाँधी जी द्वारा 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की गई और उन्होंने छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरूआत 8 मई 1933 में की।

भारत छोड़ो आंदोलन

ब्रिटिश साम्राज्य से भारत को तुरंत आजाद करने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस के बॉम्बे अधिवेशन से द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन आरम्भ किया गया।

चंपारण सत्याग्रह

ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से अत्यधिक कम मूल्य पर जबरन नील की खेती करा रहे थे। इससे किसानों में भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई थी। यह आंदोलन बिहार के चंपारण जिले से 1917 में प्रारंभ किया गया। और यह उनकी भारत में पहली राजनैतिक जीत थी।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार हैः

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत को स्वतंत्रता दिलवाने में उन्होंने एहम भूमिका निभायी थी। 2 अक्टूबर को हम उन्हीं की याद में गांधी जयंती मनाते है। वह सत्य के पुजारी थे। गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेद-भाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर ज़ुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।

भारत वापस आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाह को जवाब देने के लिए और अपने लिखे समाज को एकजुट करने के बारे में सोचा। इसी दौरान उन्होंने कई आंदोलन किये जिसके लिए वे कई बार जेल भी जा चुके थे। गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह आंदोलन उन्होंने जमींदार और अंग्रेज़ों के खिलाफ किया था। एक बार गाँधीजी को स्वयं एक गोरे ने ट्रेन से उठाकर बाहर फेंक दिया क्योंकि उस श्रेणी में केवल गोरे यात्रा करना अपना अधिकार समझते थे परंतु गांधी जी उस श्रेणी में यात्रा कर रहे थे।

गांधी जी ने प्रण लिया कि वह काले लोगों और भारतीयों के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने वहाँ रहने वाले भारतीयों के जीवन सुधार के लिए कई आन्दोलन किये । दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन के दौरान उन्हें सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझ में आया। जब वह भारत वापस आए तब उन्होंने वही स्थिति यहां पर भी देखी, जो वह दक्षिण अफ्रीका में देखकर आए थे। 1920 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया और अंग्रेजों को ललकारा।

1930 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया और 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया। अपने इन आन्दोलन के दौरान वह कई बार जेल गए। हमारा भारत 1947 में आजाद हुआ, लेकिन 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई, जब वह संध्या प्रार्थना के लिए जा रहे थे।

mahatma gandhi quotes

Mahatma Gandhi Essay in Hindi में हम महात्मा गांधी के कुछ अनमोल विचार के बारे में जानेंगे जो आपको अपना जीवन बदलने की राह आसान करेंगेः

  • “एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।”
  • “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।”
  • “किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
  • “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।”
  • “पृथ्वी सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।”
  • “प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमे सबसे नम्र है।”
  • “एक राष्ट्र की संस्कृति उसमे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है।”
  • “जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।”
  • “सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।” 
  • “एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।”

Mahatma Gandhi Essay in Hindi जानने के साथ ही हमें महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्यों के बारे में जानना चाहिए, जोकि इस प्रकार हैंः

mahatma gandhi essay in hindi

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिध्द लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास

गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

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सत्य और सत्याग्रह

गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।

हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 

गांधीवादी अर्थशास्त्र

गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।

बौद्ध, जैन और सिख

गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।

मुस्लिम 

गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।

गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।

गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।

अस्पृश्यता और जातियां

गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 

नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा

गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया। 

सम्बंधित आर्टिकल्स 

सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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Indira Gandhi Essay for Students and Children

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Indira Gandhi in India is known as the ‘Iron lady of India’. After the Lal Bahadur Shastri died, Indira Gandhi became the prime minister if India. Also, she established her worth and became the strongest prime as well as president of the Congress party. When she became the prime minister of India, the congress party was divided. Thus, she overcame all the hurdles and proved her to be the strongest prime minister of India. The Indira Gandhi essay will give you a glimpse of what Indira Gandhi the strongest prime minister of India. 

Indira Gandhi Essay

Shrimati Indira Gandhi was born on 19th November 1917 at Anand Bhawan in Uttar Pradesh. Indira Gandhi received education in different places because her parents were constantly moving. She received her primary education at Allahabad only. Besides this, she also studied various subjects at Oxford and Shanti Niketan. In 1942, she was married to a Parsi youth by the name of Feroz Gandhi. Her husband died in 1960 and both of them had two sons, Rajiv and Sanjay. 

From her early life only, Indira Gandhi has been a member of the Indian national congress . Also, in 1959, she was elected as the party president of Indian national congress. It was only after her father Pandit Jawaharlal Nehru died she became the minister of information and broadcasting. After the untimely death of then prime minister Lal Bahadur Shastri, Indira Gandhi became the prime minister of India in 1966. She held on to the prime minister office for 17 years. 

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When she was prime minister of India, she led the country to greater heights. Under her leadership in 1971, India defeated Pakistan in the war and broke its back. Additionally, she also nationalized the banks in 1970 and abolished all the privy purses. These two bold steps defined her time as a prime minister of India.

One major decision of her tenure was yet to come when in 1975, opposition parties revolted against the historical judgment of justice Sinha. Thus, to neutralize the effect of the opposition of the country she declared the state of internal emergency. So, this resulted in a defeat for her in 1977. After this, for two and a half years she remained in hot water and it was in January 1980 that she came back to her position in the midterm poll. 

Indira Gandhi – Second Term

After she returned to the office, she had to face many more challenges. The demand of ‘Khalistan’ was on the rise and it made her restless. This resulted in the attack on the golden temple. Thus, she ordered the army to rescue the Operation and free the temple from terrorists. On 31st October 1984, she was shot dead at her residence by two of her own security guards. 

She was a woman of courage, vision, and foresight. Also, her 20 point program was a bold way in order to bring the prosperity of the poor. She was a woman who made history as a prime minister of India. 

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महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे। 

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में

भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे। 

इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे। 

महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।

सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था। 

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे। 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की। 

गांधी जी का विवाह 

जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे। 

गांधीजी का राजनीति में प्रवेश 

जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए। 

महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया। 

गांधी जी की मृत्यु 

देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी‌। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। 

  • 10 Lines About Mahatma Gandhi in Hindi
  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • 10 Lines on A.P.J. Abdul Kalam in Hindi

दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं। 

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Essay on Rajiv Gandhi in Hindi – राजीव गाँधी पर निबंध

हेलो दोस्तों आज फिर मै आपके लिए लाया हु Essay on Rajiv Gandhi in Hindi पर पुरा आर्टिकल। आज हम आपके सामने राजीव गाँधी के बारे में कुछ जानकारी लाये है जो आपको हिंदी essay के दवारा दी जाएगी। आईये शुरू करते है राजीव गाँधी पर निबंध

Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

राजीव गाँधी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। उस समय वे केवल 40 वर्ष के थे। वे श्रीमती इंदिरा गाँधी के सुपुत्र थे, जो 17 वर्षों तक प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित रही थीं। राजीव गाँधी के पिता श्री फिरोज़ खान भी हमारे देश के  नेता थे।

राजीव गाँधी का जन्म मुंबई में 20 अगस्त, 1944 को हुआ था। दिल्ली में अपनी प्रारंभिक शिक्षा के पश्चात् उन्हें देहरादून के दून स्कूल में दाखिल कर दिया गया। उन्होंने वहाँ से आई.एस.सी. की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने इंग्लैण्ड चले गए। वहाँ से वापस आने के बाद दिल्ली के फ्लाइंग क्लग के सदस्य बन गए। फिर उन्होंने कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस लिया और सह-पायलट के रूप में इंडियन एअरलाइन्स में नौकरी कर ली। उसके बाद उन्होंने इटली की सोनिया गाँधी से विवाह कर लिया। उनके दो बच्चे हैं- राहुल और प्रियंका।

उनके छोटे भाई संजय गाँधी 23 जून, 1980 को एक हवाई दुर्घटना में मारे गए। 11 मई, 1981 को अपने अथक प्रयासों से वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने और 1981 में ही वे अमेठी से सांसद चुन लिए गए। तत्पश्चात् उन्हें कांग्रेस पार्टी का महासचिव चुना गया। फिर 31 अक्तूबर, 1984 को श्रीमती इंदिरा गाँधी की अपने ही सुरक्षा गार्डी द्वारा हत्या के बाद राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बन गये। और आगजनी प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने अनेकों उनलब्धियाँ हासिल की।

श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद देशभर में हत्या, होने लगी। उन्होंने इस अराजकता और अव्यवस्था को कुछ ही घंटों में शांत कर दिया। फिर दिसंबर, 1984 के अंतिम सप्ताह में लोकसभा के चुनाव हुए। इसमें उनकी योग्यता एवं कुशलता आश्चर्यजनक रूप से सबके सामने उभरकर आ गई। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा की 542 सीटों में से 411 सीटें जीत लीं। फिर उन्होंने सबसे पहले लाइसेंस राज’ को समाप्त किया, शिक्षा व्यवस्था को सुधारा, विज्ञान और टैक्नोलॉजी के विकास को एक नया स्वरूप प्रदान किया और संयुक्त राष्ट्र संघ से अच्छे संबंध स्थापित किए।

प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए राजीव गाँधी ने एक स्वच्छ और ईमानदार सरकार देने का अपना वादा शत-प्रतिशत पूरा किया। राजीव गाँधी 1991 में चुनाव होने तक कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। उसी चुनाव अभियान में, एक आत्मघाती एल.टी.टी.ई. महिला थेनमुली राजरतनम ने उनकी हत्या कर दी। वह दिन 21 मई, 1991 था जब उनकी उम्र मात्र 46 वर्ष थी। उस समय वे तमिलनाडु के श्री पेरूंबुदूर में थे। तत्पश्चात् उनकी महान् उपलब्धियों और देश की सेवा के लिए उन्हें (मरणोपरांत) भारत का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार भारत रत्न से विभूषित किया गया। इससे पूर्व श्रीमती इंदिरा गाँधी को भी भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका था। ये पुरस्कार पाने वाले वे 40वें व्यक्ति थे।

भारत के लिए उनकी महान् उपलब्धियाँ सदैव स्मरण रहेंगी।

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics

  • सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
  • अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
  • राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
  • नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
  • साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
  • नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
  • मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
  • एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
  • युवा पर निबंध – (Youth Essay)
  • अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
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  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
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  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
  • विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
  • विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
  • विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
  • कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
  • मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
  • मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
  • मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
  • विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
  • भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
  • सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
  • भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
  • भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
  • कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
  • हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
  • अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
  • महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
  • महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
  • आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
  • मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
  • ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
  • भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
  • भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
  • आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
  • भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
  • चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
  • चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
  • पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
  • परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
  • यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
  • आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
  • भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
  • संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
  • भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
  • दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
  • राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
  • भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
  • भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
  • किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
  • राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
  • बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
  • भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
  • महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
  • गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
  • स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
  • बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
  • राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
  • आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
  • सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
  • बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
  • गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
  • सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
  • यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
  • बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
  • सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
  • परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
  • पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
  • वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
  • महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
  • महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
  • यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
  • बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
  • शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
  • बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
  • दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
  • जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
  • श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
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  • भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
  • मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
  • हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
  • विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
  • भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
  • गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
  • भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
  • गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
  • गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
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  • ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
  • परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
  • मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
  • अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
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  • समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
  • नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
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  • जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
  • जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
  • प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
  • प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
  • वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
  • पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
  • पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
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  • योग पर निबंध (Yoga Essay)
  • मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
  • प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
  • वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
  • वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
  • बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
  • अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
  • स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
  • महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
  • मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
  • मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
  • कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)

इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

राजीव गाँधी पर निबंध | Essay on Rajiv Gandhi in Hindi

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राजीव गाँधी पर निबंध | Essay on Rajiv Gandhi in Hindi language.

राजीव गाँधी जैसे युवा नेता की दूरदर्शिता के फलस्वरूप ही देश कम्प्यूटर युग में प्रवेश कर सका है । जब कम्प्यूटर के क्षेत्र में अध्ययन एवं अनुसन्धान के प्रयासों को उन्होंने बल देना शुरू किया था, तो लोगों ने इससे बेरोजगारी बढ़ने की बात कहकर उनकी तीव्र आलोचना की थी, किन्तु आज देश की प्रगति में कम्प्यूटर की उपयोगिता एवं भूमिका से यह स्वाभाविक रूप से अन्दाजा लगाया जा सकता है कि राजीव गाँधी अपने समय से कितना आगे चलते हुए पूरी सूझ-बूझ से निर्णय लिया करते थे ।

भारत आज सूचना प्रौद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है और इसमें कम्प्यूटर की भूमिका अहम् है । राजीव गाँधी के नेतृत्व में देश ने आधुनिकीकरण एवं खुशहाली के नए युग में प्रवेश किया । राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बम्बई में हुआ था ।  उनके नाना जवाहरलाल नेहरू ने उनका नाम ‘राजीव गाँधी’ रखा ।

उनके पिता फिरोज गाँधी, माँ इन्दिरा गाँधी एवं नाना जवाहरलाल नेहरू, जो देश की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष कर रहे थे, के संघर्षों को देखकर सम्भवत: एक दिन राजीव गाँधी भी इस लड़ाई में कूद पड़ते, किन्तु सौभाग्यवश 15 अगस्त, 1947 को देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल गई ।

ADVERTISEMENTS:

आजादी के बाद जब राजीव गाँधी के नाना जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमन्त्री बने, तो वे माँ एवं छोटे भाई संजय गाँधी के साथ दिल्ली के तीनमूर्ति भवन में रहने आ गए । उनकी प्रारम्भिक शिक्षा यहीं के एक स्कूल शिव निकेतन में हुई । वर्ष 1954 में आगे की पढ़ाई के लिए राजीव को देहरादून के वेल्हम विद्यालय भेजा गया ।

वहाँ से आईएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे सीनियर कैम्ब्रिज में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गए ।  वहाँ ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त की । पढ़ाई खत्म करने के बाद वे दिल्ली फ्लाइंग क्लब के सदस्य बने तथा विमान संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया ।

जब बे कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर रहे थे, तब उनकी माँ इन्दिरा गाँधी वर्ष 1966 में भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनी । पढ़ाई खत्म करने के बाद विमान चालक के प्रशिक्षण के दौरान वर्ष 1968 में इटली की सोनिया माइनो से उनका विवाह हो गया ।

अपने नाना, पिता एवं माँ के देश की राजनीति में अहम् स्थान के बावजूद राजीव राजनीति में नहीं आना चाहते थे, इसलिए विमान संचालन के प्रशिक्षण के बाद उन्होंने वर्ष 1970 में इण्डियन एयरलाइंस में पाइलट की नौकरी करना शुरू कर दी ।

23 जून, 1980 को अपने छोटे भाई संजय गाँधी की मृत्यु के बाद न चाहते हुए भी खानदान की विरासत को सँभालने के लिए उन्हें राजनीति में आना पड़ा । जून, 1981 में वे अमेठी से सांसद निर्वाचित हुए और साथ में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव भी बनाए गए ।

31 अक्तूबर, 1984 को अपनी माँ तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी की उनके ही अंगरक्षकों द्वारा जघन्य हत्या के बाद शोकाकुल राजीव को समय की आवश्यकता को देखते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र की बागडोर संभालनी पड़ी ।

वे अब तक के सबसे युवा प्रधानमन्त्री थे और राजनीति का भी उन्हें अधिक अनुभव नहीं था, इसलिए कुछ लोगों को आशंका थी कि वे राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे, परन्तु जिस कुशलता के साथ देश का संचालन करते हुए वे इसे आधुनिकीकरण के नए युग में ले गए, उससे उनके सभी आलोचक स्तब्ध रह गए ।

दिसम्बर, 1984 में जब लोकसभा के चुनाव हुए, तो राजीव जी की अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण कांग्रेस को 542 सीटों में से 411 सीटों पर अभूतपूर्व जीत हासिल हुई । 31 दिसम्बर, 1984 को राजीव गाँधी नई लोकसभा के सदस्यों के नेता के रूप में पुन: देश के प्रधानमन्त्री बने ।

अपने कार्यकाल में उन्होंने भारतीय जनता के कल्याण के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय किए, नए कार्यक्रमों की शुरूआत की तथा विश्व के अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी भारत को अभूतपूर्व प्रतिष्ठा दिलाई । श्रीलंका में चल रहे लिट्टे और सिंघलियों के बीच युद्ध को शान्त करने के लिए उन्होंने भारतीय सेना को श्रीलंका में तैनात किया ।

राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करने के लिए उन्होंने वर्ष 1985 में राजनीतिक दल-बदल सम्बन्धी विधेयक पारित करवाया । बेरोजगारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए वर्ष 1988 में व्यापक ऋण योजना तथा 1 अप्रैल, 1989 को जवाहर रोजगार योजना का शुभारम्भ किया, जिसके अन्तर्गत ‘इन्दिरा आवास योजना’ तथा ‘दस लाख कुआँ योजना’ जैसे कई कार्यक्रमों की शुरूआत की ।

पंचायती राजव्यवस्था को मजबूत करने के दृष्टिकोण से 15 मई, 1989 को बहुप्रतीक्षित 64वाँ पंचायती राज विधेयक संविधान संशोधन प्रस्तुत किया । प्रथम बार प्रधानमन्त्री बनते वक्त राजीव गाँधी को पंजाब के आतंकवाद और असोम के आन्दोलनकारियों से त्रस्त भारत मिला था, किन्तु अपनी प्रशासनिक क्षमता एवं सूझ-बूझ से ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करने में वे सफल रहे ।

राजीव गाँधी ने देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पृथ्वी, त्रिशूल और अग्नि जैसी मिसाइल एवं प्रक्षेपास्त्रों का विकास करवाया । उन्हें अपने देश की युवाशक्ति पर बड़ा मान था, यही कारण है कि देश की युवाशक्ति की राजनीति में भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करने का प्रस्ताव संसद में पारित करवाया ।

वर्ष 1989 के सामान्य चुनाव में अपने आकर्षक व्यक्तित्व के बल पर वे अपने निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से विजयी होने में कामयाब रहे, किन्तु अपने कुछ सहयोगियों के भीतरघात के कारण उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा । राजीव गाँधी यदि चाहते तो उस समय जोड़-तोड़ की सरकार बना सकते थे, परन्तु जनादेश का सम्मान करते हुए उन्होंने विपक्ष में बैठना स्वीकार किया ।

शाहबानो प्रकरण में ‘मुस्लिम लॉ’ के सम्मान की बात हो या अयोध्या में ‘रामलला के दर्शन’ की अनुमति हो, उनके जैसा साहस एवं समन्वय अतुलनीय है । राजीव गाँधी अपने व्यवहार के अनुरूप सुरक्षा की परवाह किए बिना जनता के बीच चले जाते थे ।

इसका लाभ उनके दुश्मनों ने उठाया और चेन्नई के पेरुम्बुदूर नामक स्थान पर एक चुनावी सभा को सम्बोधित करने के लिए जाते समय एक आत्मघाती हमले में 21 मई, 1991 को उनकी मृत्यु हो गई । भारत सरकार ने देश के प्रति राजीव गांधी द्वारा की गई महान् सेवाओं के लिए कृतज्ञता जाहिर करते हुए 7 जुलाई, 1991 को मरणोपरान्त उन्हें देश के सर्वोच्च अलंकरण ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया ।

जिस तरह, इन्दिरा गाँधी की हत्या से पूरा देश स्तब्ध रह गया था, उसी तरह एक बार फिर अपने प्रिय युवा नेता की हत्या से भारतवासी शोकाकुल हो गए । उनके निधन से भारत को जो क्षति हुई उसकी पूर्ति असम्भव है, पर भारत को कम्प्यूटर युग में ले जाने का उनका जो सपना था, वह आज साकार हो चुका है और भारत सूचना प्रौद्योगिकी की सुपर शक्ति बन चुका है ।  कृतज्ञ भारतवासी, देश की प्रगति में उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकते । उनका व्यक्तित्व एवं उनकी कार्यप्रणाली सदैव देश के युवा वर्ग का मार्गदर्शन करती रहेगी ।

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Essay On Mahatma Gandhi In Hindi (100, 200, 300, 500, 700, 1000 Words)

महात्मा गाँधी पर निबंध 1 (100 शब्द) :.

महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जिनके पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने एक राष्ट्रवादी नेता की तरह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतवासियों का भरपूर नेतृत्व किया था।

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था लेकिन इनकी मृत्यु 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में स्थित बिरला मंदिर की प्रार्थना सभा में हुई थी। मोहनदास करमचंद गाँधी जी की हत्या हिन्दू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर की थी जिसके लिए उसे भारत सरकार के द्वारा फांसी की सजा दी गई थी। सन् 1948 में रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें एक और “राष्ट्र का शहीद” नाम दिया था।

महात्मा गाँधी पर निबंध 2 (200 शब्द) :

महात्मा गाँधी जी एक सच्चे भारतवासी होने के साथ-साथ एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज के समय में भी देश और विदेशों के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं।

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक स्थान पर एक हिंदू परिवार में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। भारत देश के लिए 2 अक्तूबर एक बहुत ही पुन्य तिथि थी क्योंकि आज के दिन महात्मा गाँधी जी का जन्म हुआ था।

गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराने के लिए अविस्मरणीय भूमिका निभाई थी। गाँधी जी ने अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा इंग्लैड से की थी जहाँ से वे एक वकील बनकर लौटे थे जिसके बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा समस्याओं का सामना करने वाले भारतियों की मदद करने लगे थे।

गाँधी जी ने भारतीय लोगों की मदद करने के लिए सत्याग्रह नामक आंदोलन का शुभारंभ किया। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए गाँधी जी ने बहुत से अन्य आंदोलन भी चलाए थे जिनके बाद भारत को अंत में 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली थी लेकिन इसके एक साल बाद 30 अक्तूबर, 1948 को दिल्ली में गाँधी जी की मृत्यु हो गई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 3 (300 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी को बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि सभी लोग उन्हें इन्हीं नामों से पुकारा करते थे। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो एक बहुत ही महान स्वतंत्रता सेनानी थे और एक राष्ट्रवाद नेता की तरह ही उन्होंने भी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत देश का नेतृत्व किया था।

गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी ने ऐसे बहुत से आंदोलन चलाए हैं जिनके द्वारा किसी भी देश या राष्ट्र की उन्नति हो सकती है। गाँधी जी द्वारा ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी।

महात्मा गाँधी का जीवन : महात्मा गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक से आगे की पढाई इंग्लैण्ड में की थी जहाँ से गाँधी जी वकील बनकर ही भारत वापस लौटे थे। भारत आकर उन्होंने भारतवासियों का मार्गदर्शन करना शुरू कर दिया जिससे कुछ लोगों ने उन्हें राजनीति में प्रवेश करने के लिए कहा।

महात्मा गाँधी जी ने अहिंसा के धर्म को अपनाते हुए बहुत सारे आंदोलन चलाए जिसके सामने अंग्रेजों को अपने घुटने टेकने पड़े और अंत में अंग्रेजो ने भारत को आजाद कर दिया और भारत छोड़कर चले गए। भारत के आजाद होने के कुछ समय बाद महात्मा गाँधी जी की हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे के द्वारा दिल्ली के बिरला मंदिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी को भारतीय इतिहास में युग पुरुष के रूप में सदैव याद रखा जाएगा। आज महात्मा गाँधी जी को सारी दुनिया श्रद्धा के साथ नमन करती हैं। महात्मा गाँधी जी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए उनके ऊपर बहुत-सी भाषाओं में फिल्में बनाई गई हैं जिससे आज के बच्चे, युवा अपने जीवन को प्रेरणादायक बना सकें।

जब महात्मा गाँधी जी का जन्मदिन होता है तो उस दिन पूरा विश्व श्रद्धा और सम्मान के साथ गाँधी जी के जन्मदिन को मनाता है। गाँधी जी के सम्मान के रूप में अमेरिका देश ने भी 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाना शुरू कर दिया है।

महात्मा गाँधी पर निबंध 4 (400 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी को महात्मा उनके महान कार्यों और महानता के लिए कहा जाता है जिन्हें उन्होंने अपने जीवन भर किया था। महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक अहिंसक कार्यकर्ता भी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन में अहिंसा का पालन किया था जिसका उदाहरण ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना है।

गाँधी जी ने अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए लेकिन उन्होंने किसी भी आंदोलन को हिंसात्मक नहीं होने दिया। गाँधी जी ने बहुत सी जगहों पर शिक्षा प्राप्त की थी जिससे ही उन्होंने राजनीति सीखी थी।

महात्मा गाँधी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था जिनके पिता जी का नाम करमचंद गाँधी और माँ का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी पर उनकी माँ के संस्कारों का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था।

महात्मा गाँधी जी ने बहुत सारे आंदोलन चलाए ताकि वे अपने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिला सकें। उन्होंने सत्याग्रह किया जिसके सामने अंग्रेजों ने अपने घुटने टेक दिए जिसके बाद भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

(और पढ़ें :    राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध  ,  महात्मा गाँधी से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें )

महात्मा गाँधी की मृत्यु : महात्मा गाँधी जी ने अपने पूरे जीवन को देश के लिए बलिदान कर दिया था इसलिए वे जब तक जिंदा रहे तब तक देश के उन्नति के लिए काम करते रहे। गाँधी जी ने देश को एक करने के लिए हिंदू मुस्लिम एकता की भावना का शुभारंभ किया लेकिन कुछ लोग इस भावना के विरुद्ध थे।

महात्मा गाँधी जी 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में प्रार्थना सभा के लिए गए थे तभी एक हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। महात्मा गाँधी जी की मृत्यु से पूरा भारत बहुत गहरे सदमे में चला गया। गाँधी जी की मृत्यु के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमारे बीच रहेंगे।

उपसंहार : एक समय ऐसा भी आया था जब गाँधी जी को काली त्वचा और गोरी त्वचा वाले व्यक्ति के भेदभाव का शिकार होना पड़ा था जिसके बाद ही उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने का निश्चय किया। गाँधी जी राजनीतिक कार्यकर्ता बनकर पास किए गए गलत कानूनों में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते थे।

गाँधी जी ने भारत देश को स्वतंत्र और शक्तिशाली बनाने के लिए एक अहिंसक आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने ही नमक सत्याग्रह में होने वाले दांडी मार्च का नेतृत्व किया था। गाँधी जी ने अपनी स्वतंत्रता के लिए बहुत सारे भारतियों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।

महात्मा गाँधी पर निबंध 5 (500 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी भारत के एक महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे जिन्हें आज भी देश और विदेश के लोगों को अपनी महानता, आदर्शवाद जीवन की वजह से प्रेरित करते हैं। महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ में स्थित पोरबंदर स्थान पर हुआ था।

महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जो उनके पिता जी के नाम पर रखा गया था क्योंकि गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी था और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे।

महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा : महात्मा गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई थी जिसमें वे एक बहुत ही साधारण विद्यार्थी थे। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान गाँधी जी अपने सहपाठियों से बहुत ही कम बोलते थे लेकिन अपने अध्यापकों का पूरा आदर करते थे। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी।

प्रारंभ में तो गाँधी जी बहुत ही मेहनती और सत्यवादी थे क्योंकि वे कभी भी कोई बात नहीं छिपाते थे। गाँधी जी झगड़ा, शरारत और उछल-कूद से कोशों दूर रहते थे। गाँधी जी ने बंबई युनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को पास किया और भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया।

गाँधी जी के गुजरती भाषा से अचानक अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें व्याख्यानों को समझने में बहुत अधिक परेशानी होती थी। गाँधी जी की इच्छा थी कि वे एक डॉक्टर बने लेकिन वे एक वैष्णव परिवार के व्यक्ति थे जिन्हें चीरफाड़ करने की अनुमति नहीं थी। अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद गाँधी जी को अगली उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा था।

विवाह : जब गाँधी जी 13 साल के थे तो वे अपने स्कूल की पढाई पूरी कर रहे थे। 13 साल की उम्र में उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी से हो गया था जिसका नाम कस्तूरबा देवी था।

राजनीति में प्रवेश : जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे तब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चल रहा था। सन् 1915 में गाँधी जी फिर से भारत लौटे थे। इन दिनों कांग्रेस पार्टी के गणमान्य सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले जी थे। गोपाल कृष्ण गोखले जी ने गाँधी जी से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की अपील की जिसकी वजह से गाँधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता हासिल की और पूरे भारत का भ्रमण किया। जब गाँधी जी ने देश की बागडोर को अपने हाथों में ले लिया तो पूरे देश में एक नए इतिहास का सूत्रपात हुआ।

जब साल 1928 में साइमन कमिशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका डटकर सामना किया। गाँधी जी की एकता से लोगों को बहुत प्रोत्साहन मिला। जब गाँधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा की तो अंग्रेज पूरी तरह हिल गए। महात्मा गाँधी जी कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे जिसकी वजह से वे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने लगे। गाँधी जी ने तिलक जी के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ाया था।

उपसंहार : बापू जी ने बहुत से देशों की यात्रा भी की थी जिसके बाद उन्होंने भारत लौटकर ब्रिटिश शासन के द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को रोकने के लिए और उनका सामना करने के लिए भारत के लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। महात्मा गाँधी जी एक भारतीय थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन को हराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन का शुभारंभ किया था।

महात्मा गाँधी जी की वजह से ही भारत देश को आजादी मिल पाई थी जिसके लिए उन्होंने बहुत से लोगों को प्रेरित किया था। महात्मा गाँधी जी को 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला मंदिर में हिंदू कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे ने गोली मार दी थी जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 6 (600 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक अहिंसा प्रिय व्यक्ति थे क्योंकि उनका मानना था कि जो चीज हिंसा से प्राप्त नहीं की जा सकती है उसे अहिंसा और प्रेम से आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। महात्मा गाँधी वो महान हस्ती थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलनों का नेतृत्व किया था।

महात्मा गाँधी जी एक वकील थे जिन्होंने राजनीति में प्रवेश करके बहुत से लोगों को सही और अहिंसापूर्ण मार्ग दिखाया था। महात्मा गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन द्वारा तिरस्कृत और अपमानित किए जाने वाले भारतवासियों को स्वतंत्रता दिलाई थी।

गाँधी जी का परिवार : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। महात्मा गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और आखिरी संतान थे जिनके पिता राजकोट के दीवान थे।

गाँधी जी पर उनकी माता पुतलीबाई गाँधी का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी का विवाह 13 साल की उम्र में पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी स हुआ था। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जो सदाचार को ही अपने जीवन का परम मूल्य समझता था।

महात्मा गाँधी जी का विदेश गमन : जब महात्मा गाँधी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर ली तो उन्हें आगे की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा। गाँधी जी की पढाई अभी चल रही थी कि उनके पिता जी का देहांत हो गया। इंग्लैण्ड में गाँधी जी ने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व का दर्शन किया था।

इंग्लैण्ड जाने के बाद भी गाँधी जी ने मांसाहारी भोजन को हाथ भी नहीं लगाया क्योंकि उन्होंने अपनी माता से ऐसा न करने का वादा किया था। गाँधी जी ने इंग्लैण्ड में बहुत सी बाधाओं का सामना किया क्योंकि उन्हें शाकाहारी भोजन के लिए बहुत कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौट आए जिस बीच उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया।

गाँधी जी का दक्षिण अफ्रीका प्रस्थान : जब गाँधी जी बंबई में वकालत कर रहे थे तब उन्हें बंबई से ही साल 1893 में पोरबंदर के अब्दुल्ला एंड कंपनी केश के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था। जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे तो वहां पर पहुंचकर उन्हें पता चला कि वहां पर जितने भी भारतवासी बसे हुए थे उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है।

उस समय वहां पर रंग-भेद का भेदभाव अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था। गाँधी जी इस बात को सहन नहीं कर पाए जिसकी वजह से उनके मन में राष्ट्रिय-भावना जागृत हुई। गाँधी जी ने रंग-भेद को समाप्त करने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई और अंग्रेजों को अपने कानून को वापस लेना पड़ा जिसके फलस्वरूप दक्षिण अफ्रीका पर किए जाने वाले अत्याचार बंद हो गए।

स्वदेश आगमन : महात्मा गाँधी जी अपने देश भारत सन् 1915 में लौटे थे जब अंग्रेज बहुत अधिक तेजी से भारतियों का दमन कर रहे थे। इसी समय पर रोलैक्ट एक्ट जैसे कानून को भी चलाया गया था। पंजाब के अमृतसर में बैसाखी के दिन 13 अप्रैल, 1919 के समय जलियावाला में एक महासभा हुई तब बाग के गेट को बंद कर दिया गया और उस पर सिपाही तैनात कर दिए गए। अंग्रेजों की योजना यह थी कि अगर भीड़ में भगदड़ हुई तो कोई भी बचकर बाहर नहीं जा पाएगा।

बाग में बैठे हजारों लोगों के ऊपर अंग्रेजों के द्वारा सिपाहियों को गोलीबारी करने का आदेश दे दिया था। अंग्रेजों ने आम सभा को शोक सभा में बदल दिया जिससे पूरा बाग कुछ ही देर में लाशों से भर गया। जलियावाला बाग हत्याकांड ने पूरी मानव जाति को लज्जित कर दिया था। उस समय कांग्रेस पार्टी की स्थिति कुछ खास मजबूत नहीं थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी ने स्वतंत्रता दिलाने का दृढ निश्चय किया जिसके बाद ब्रिटिश शासन ने बहुत से प्रयत्न किए लेकिन गाँधी जी अपने फैसले पर अडिग रहे। कई बार तो गाँधी जी को स्वतंत्रता सेनानी होने की वजह से जेल भी जाना पड़ा था लेकिन उन्होंने भारतवासियों के न्याय के लिए ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लड़ाई को जारी रखा।

गाँधी जी देश और सभी धर्मों की एकता में बहुत विश्वास रखते थे जिसका होना आजादी के लिए बहुत अधिक जरुरी था। गाँधी जी के साथ-साथ कई अन्य भारतीयों ने भी बहुत अधिक संघर्ष किया जिसके बाद अंत में भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

महात्मा गाँधी पर निबंध 7 (700 शब्द) :

भूमिका : महात्मा गाँधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत को आजादी दिलाने के संघर्ष में बिता दिया। महात्मा गाँधी जी एक वकील थे लेकिन वकील होने के बाद भी उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतवासियों के लिए नेता के रूप में बिता दिया था।

महात्मा गाँधी जी के जीवन से सभी लोगों खासकर युवा व्यक्तियों को प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। महात्मा गाँधी जी को सभी लोग बापू या राष्ट्रपिता कहते थे क्योंकि उन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया।

गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था। गाँधी जी अपने पिता की चौथी और सबसे छोटी संतान थे।

गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान और माता सती-साध्वी और धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं जिसका उनका बेटे पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। गाँधी जी अपने माता के संस्कारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। गाँधी जी का पूरा परिवार विशुद्ध भारतीय परिवार था जिसमें सदाचार को जीवन का बहुमूल्य धन माना जाता था।

गाँधी जी का प्रारंभिक जीवन : गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए उनका प्रारंभिक जीवन राजकोट में ही व्यतीत हुआ था। गाँधी जी एक बहुत ही साधारण से व्यक्ति थे जो अपने मित्रों और सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे लेकिन अपने से बडो और शिक्षकों का पूरा आदर करते थे।

गाँधी जी ने अपने स्कूली जीवन में बहुत से पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती हैं लेकिन वे पढाई और खेल में अधिक तेज नहीं थे। गाँधी जी को उनके बचपन में धर्म-कर्म की पूरी शिक्षा उनकी माता ने उन्हें दी थी। गाँधी जी बहुत ही विनम्र व्यवहार के थे लेकिन किसी बच्चे का इतना विनम्र होना ठीक नहीं था लेकिन गाँधी जी में ये सभी संस्कार जन्म से ही थे।

अहिंसा नीति में भूमिका : भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी जी के आने के बाद अहिंसा का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया था लेकिन इसके साथ-साथ देश में बहुत से हिंसक स्वतंत्रता संघर्ष चल रहे थे जिनके महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बहुत से भारतीय वीर अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए शहीद हो गए थे।

लेकिन महात्मा गाँधी जी के अहिंसा आंदोलन वो आंदोलन थे जिसमें देश की पूरी स्वतंत्रता के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन किए जाते थे। महात्मा गाँधी जी ने अपने हर आंदोलन के लिए अहिंसा के मार्ग को अपनाया था।

भारत छोड़ो आंदोलन : द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद अंग्रेजों ने अपने दिए हुए वचन से पीछे हटना शुरू कर दिया जिससे भारतियों ने “अंग्रेजो! भारत छोड़ो” का नारा लगाया। इस आंदोलन की वजह से पूरे देश में बहुत से नागरिक अवज्ञा आंदोलन चल गए और भारतियों ने खुद को द्वितीय विश्व युद्ध से अलग करने की भी मांग करनी शुरू कर दी।

गाँधी जी ने इस लड़ाई में भाग लेते समय यह कहा था कि यह मेरी आखिरी लड़ाई है। गाँधी जी ने अपने सभी साथियों के साथ आत्म समर्पण किया था जिसकी वजह से पूरे देश में अशांति फैल गई थी। भारत छोड़ो आंदोलन भारत में ब्रिटिश राज की आखिरी कील साबित हुई है।

महान बलिदान : जब तक गाँधी जी जिंदा रहे तब तक अपने देश के उद्धार के लिए कार्य करते रहे। गाँधी जी ने जो हिन्दू-मुस्लिम एकता का शुभारंभ किया उससे कुछ लोग खुश नहीं थे जिसका विरोध करने के लिए हिंदू कार्यकर्ता ने 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय मौका पाकर गाँधी जी की गोली मरकर हत्या कर दी जिसके लिए नाथूराम गोडसे को फांसी की सजा दी गई थी। गाँधी जी की मृत्यु की वजह से पूरा भारत देश शोक सागर में डूब गया लेकिन उनके मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा याद रखे जाएंगे।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य पूरा तो कर लिया लेकिन उसके कुछ समय के बाद ही उनका देहांत हो गया था। गाँधी जी ने शारीरिक श्रम के लिए भारतवासियों को प्रेरित किया और एक साधारण जीवन जीने और आत्म निर्भर बनाने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था भी करने के लिए कहा।

महात्मा गाँधी जी ने पूर्ण रूप से स्वतंत्र बनने के लिए और स्वदेशी सामान को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जिससे भारत उन्नति कर सके इसलिए गाँधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।

महात्मा गाँधी पर निबंध 8 (1000 शब्द) :

भूमिका : हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी केवल भारत के ही नहीं बल्कि पूरे संसार के महान पुरुष थे जिन्हें आज के युग की महान विभूति माना जाता है। अहिंसा एक ऐसी नीति है जिसमें कभी भी किसी को भी जाने या अनजाने में ठेस नहीं पहुंचाई जाती है। विश्व में गाँधी जी का एक उदाहरण उनके द्वारा किया गया सत्याग्रह है जिसके समक्ष अंग्रेजों को झुकना ही पड़ा था।

यह वह नीति है जिसे गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे महान व्यक्तियों द्वारा प्रसारित किया गया और महात्मा गाँधी उन प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक ही थे जो अहिंसा नीति का पालन करते थे। भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके द्वारा बहुत से प्रयत्न किए गए जिसके बाद ही हमें स्वतंत्रता की प्राप्ति हुई थी।

महात्मा गाँधी जी का जन्म : महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात राज्य के काठियावाड़ जिले में स्थित पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई गाँधी था।

गाँधी जी एक विशुद्ध भारतीय हिंदू परिवार से थे जिनके लिए केवल सदाचार ही बहुमूल्य होता था। गाँधी जी के पिता राजकोट के दीवान थे इसलिए अपने परिवार की वकालत की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए गाँधी जी ने इंग्लैण्ड से अपनी वकालत की शिक्षा प्राप्त की।

महात्मा गाँधी जी की शिक्षा : गाँधी जी का जन्म पोरबंदर में हुआ था जिसकी वजह से उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी पोरबंदर में ही हुई थी। गाँधी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अपने स्थानीय विद्यालय से उत्तीर्ण की थी। गाँधी जी ने बंबई यूनिवर्सिटी की मैट्रिक की परीक्षा को सन् 1887 में उत्तीर्ण किया था जिसके बाद उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था।

गाँधी जी के अचानक गुजरती भाषा से अंग्रेजी भाषा में आने से उन्हें थोड़ी-सी परेशानी हुई थी। गाँधी जी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन उनके परिवार को चीरफाड़ करने की इजाजत नहीं थी इसलिए वे इंग्लैण्ड गए और वकालत की शिक्षा ग्रहण की।

महात्मा गाँधी का विवाह : गाँधी जी जब अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनकी उम्र केवल 13 साल थी। 13 साल की उम्र में गाँधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था। जब गाँधी जी वकालत की शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब वे एक बेटे के पिता बन चुके थे।

महात्मा गाँधी जी की विदेश यात्रा : गाँधी जी अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब उनके पिता जी का स्वर्गवास हो गया। गाँधी जी को वकालत की शिक्षा ग्रहण करने के लिए इंग्लैण्ड जाना पड़ा जहाँ पर उन्होंने अध्ययन के साथ-साथ पहली बार स्वतंत्र विश्व के अपनी खुली आँखों से दर्शन किए थे। गाँधी जी ने विदेश जाने से पहले अपनी माँ से मांस-मछली न खाने का वादा किया था जिसे उन्होंने मरते दम तक निभाया था।

गाँधी जी को शाकाहारी भोजन प्राप्त करने के लिए बहुत सारे कष्टों का सामना करना पड़ता था। गाँधी जी अपनी वकालत की पढाई पूरी करके भारत लौटे ही थे कि इसी बीच उनकी माता का देहांत हो गया। गाँधी जी के जीवन में उनकी माँ ने ही दया, प्रेम, करुणा और ईश्वर के प्रति निःस्वार्थ भाव से श्रद्धा पैदा की थी।

चंपारण और खेडा आंदोलन : सन् 1917 में चंपारण के किसानो पर अंग्रेजों के द्वारा बहुत अत्याचार किए जा रहे थे। अंग्रेज उन्हें नील की खेती करने पर विवश करते थे और एक तय कीमत पर उस नील को खरीद लेते थे जिसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने एक आंदोलन की शुरुआत की जिसमें अंग्रेजों को उनकी मांगों को मानना ही पड़ा।

गाँधी जी के इस आंदोलन को लोगों के द्वारा चंपारण आंदोलन के नाम से जाना जाता है इसके साथ-साथ सन् 1918 में गुजरात में खेडा गाँव को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था जिसकी वजह से उस क्षेत्र में आकाल की भयंकर स्थिति उत्पन्न हो गई लेकिन इसके बाद भी अंग्रेज कर में किसी भी तरह की छूट नहीं करना चाहते थे। इसका विरोध करने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिसकी वजह से अंग्रेजों ने करों में छूट की।

असहयोग आंदोलन : जब अंग्रेजों ने क्रूर नीति अपनाकर जलियावाला बाग हत्याकांड किया तो उसका जबाव देने के लिए गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। असहयोग आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ शुरू किया गया एक अहिंसक आंदोलन था क्योंकि गाँधी जी का मानना था कि अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में इसलिए समर्थ हो पाए थे क्योंकि उन लोगों को भारतियों का भरपूर सहयोग मिला था।

गाँधी जी की बात मानते हुए लोगों ने अंग्रेजी सरकार के अधीन पदों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया इसके साथ-साथ लोगों ने अंग्रेजी वस्त्रों और वस्तुओं को खरीदना बंद कर दिया और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरू कर दिया। असहयोग आंदोलन में किसी भी तरह की हिंसा का प्रयोग नहीं हुआ लेकिन फिर भी इसने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया।

नमक सत्याग्रह : महात्मा गाँधी जी ने दांडी यात्रा की जिसे नमक सत्याग्रह भी कहते हैं जिसमें गाँधी जी ने नमक पर लगने वाले कानूनों का विरोध किया और खुद अपने हाथों से नमक तैयार किया। गाँधी जी ने नमक पर अंग्रेजों के एकाधिकार के विरोध में दांडी यात्रा की शुरुआत की जो पूरे 24 दिनों में पूरी हुई थी।

24 दिनों में गाँधी जी साबरमती आश्रम से गुजरात के दांडी नामक तटीय गाँव पहुंचे थे जिसकी वजह से नमक कानून की अवहेलना की गई और लोगो ने खुद नमक बनाना और बेचना शुरू कर दिया। नमक सत्याग्रह ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा और स्वतंत्र भारत के सपने को मजबूती देने का काम किया।

स्वतंत्रता प्राप्त होना : जब सन् 1920 में तिलक जी की मृत्यु हो गई तो उसके बाद स्वतंत्रता आंदोलन का पूरा भार गाँधी जी पर आ गया। गाँधी जी आंदोलन का पूर्ण संचालन अहिंसा की नीतियों पर चलकर कर रहे थे। इसी समय गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन को चलाया था जिसमें हजारों की संख्या में वकील, शिक्षक, विद्यार्थी, व्यापारी, आदि शामिल हुए थे।

गाँधी जी का यह आंदोलन अहिंसक था। बाद में सन् 1929 में रावी नदी के किनारे पर कांग्रेस अधिवेशन हुआ जिसमें गाँधी जी ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी। इसके बाद गाँधी जी ने नमक कानून का विरोध किया जिसमें गाँधी जी ने 24 दिनों की यात्रा की जिसके बाद वे दांडी पहुंचे थे और अपने हाथों से नमक बनाया था। इस यात्रा और नमक बनाने की वजह से गाँधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। अंत में गाँधी जी और अन्य कई भारतियों की वजह से 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।

उपसंहार : महात्मा गाँधी जी का कहना था कि हथियार और हिंसा किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकते हैं। ये किसी भी समस्या को कम करने की जगह पर और अधिक बढ़ा देता है। हिंसा किसी भी व्यक्ति में नफरत, डर और गुस्सा को बढ़ा देता है।

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